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बीजिंग: चीन ने कथित टेलीकॉम धोखाधड़ी के मामलों में विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में ताइवानी संदिग्धों को चीन में प्रत्यर्पित करवाए जाने का बचाव करते हुए कहा है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है और इससे अपराधों से बेहतर ढंग से लड़ने में मदद मिलेगी। विदेशों में टेलीकॉम धोखाधड़ी के 100 से ज्यादा मामलों में 77 ताइवानी नागरिकों समेत कुल 174 संदिग्धों को चीन में इस आधार पर प्रत्यर्पित किया गया कि इस जालसाजी का शिकार होने वाले सभी पीड़ित चीन के निवासी हैं। ताइवान ने कहा कि चीन के ये कदम ‘न्यायेतर अपहरण का असभ्य कृत्य’ है, जो ‘मूलभूत मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन’ दर्शाता है। चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ के तहत आने वाले इंटरनेशनल लॉ स्कूल के उप प्रमुख ली जुकियान ने कहा कि अपराधी कहीं भी हों, चीन को इन मामलों पर क्षेत्रीय न्यायाधिकार है क्योंकि इस धोखाधड़ी का असर चीन पर पड़ा है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ली के हवाले से कहा, ‘यह अंतरराष्ट्रीय कानून और चीन के कानून के अनुरूप है कि मलेशिया ने संदिग्धों को चीन के समक्ष प्रत्यर्पित कर दिया। कानून के तहत इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।’ कल मलेशिया ने 32 ताइवानी लोगों समेत कुल 97 लोगों को प्रत्यर्पित किया था।

इससे पहले केन्या की पुलिस ने भी टेलीकॉम घोटाले के 77 संदिग्धों को प्रत्यर्पित किया था, जिनमें 45 लोग ताइवान के थे। ताइवान को अपना हिस्सा बताने वाले चीन का आरोप है कि ताइवान टेलीकॉम धोखाधड़ी में संलिप्त ताइवानी लोगों को कड़ी सजा नहीं दे रहा । ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवानी संदिग्धों को मुख्य भूभाग पर प्रत्यर्पित करवाकर और उन्हें यहां के कानून के हिसाब से अभियोजित करके अपराधों से लड़ने में बेहतर मदद मिलेगी और देशभर के लोगों के हितों एवं कानूनी अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी।

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