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इस्तांबुल: तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिलदिरिम ने बुधवार को कहा कि मंगलवार रात को इस्तांबुल के अतातुर्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुए तीन आत्मघाती बम विस्फोटों के बाद जो शुरुआती संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि इसके पीछे आतंकी संगठन आईएसआईएस का हाथ है। उस हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ताजा सूचना के मुताबिक मरने वालों की संख्या बढ़कर 36 हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि जो सबूत मिल रहे हैं, वे इसके पीछे आईएसआईएस का हाथ होने की तरफ इशारा कर रहे हैं। उन्होंने घायलों की संख्या का आंकड़ा नहीं दिया। इससे पहले तुर्की के सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय समयानुसार मंगलवार रात करीब 10 बजे एयरपोर्ट टर्मिनल के प्रवेश द्वार के निकट हमलावरों ने सुरक्षाकर्मियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इससे दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई और उसके बाद एक-एक कर आत्मघाती बम विस्फोट में खुद को उड़ा दिया। हमले के बाद राष्ट्रपति रेकेप तैयप एर्डोगन ने आतंक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय 'संयुक्त मुहिम' का आहवान किया। हमले की तात्कालिक रूप से किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। घटना के बाद तुर्की के इस सबसे व्यस्त एयरपोर्ट से सभी उड़ाने रद कर दी गई हैं। इस्तांबुल के गवर्नर वासिप साहिन ने कहा कि तीन आत्मघाती हमलावरों ने इस घटना को अंजाम दिया। सोशल मीडिया पर चल रहे सुरक्षा कैमरों के फुटेज से दो बम धमाके के वीडियो क्लिप मंजर की भयावहता को प्रकट कर रहे हैं। एक क्लिप में टर्मिनल बिल्डिंग के प्रवेश द्वार के निकट एक बड़ा आग का गोला उठते हुए देखा किया। उसके बाद यात्रियों को इधर-उधर भागते हुए देखा गया।
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बीजिंग: चीन के साथ भारत को तमाम समस्याएं होने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर मंगलवार को सधी हुई प्रतिक्रिया में बीजिंग ने कहा कि वह विवाद वाले विषयों के निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए नयी दिल्ली के साथ बातचीत करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हांग ली ने मोदी द्वारा एक निजी टीवी चैनल को दिये साक्षात्कार के संबंध में पूछे गये प्रश्नों के जवाब में कहा, ‘हमने संबंधित खबर पर संज्ञान लिया है। चीन-भारत संबंध सामान्य तौर पर अच्छी स्थिति में हैं।’ उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों के बीच समान हितों का पलड़ा उनके मतभेदों से भारी है। चीनी पक्ष द्विपक्षीय संबंधों को संचालित करने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करेगा।’ उन्होंने मोदी के बयानों का जिक्र करते हुए कहा, ‘द्विपक्षीय संबंधों में समस्याओं के लिए चीनी पक्ष भारतीय पक्ष के साथ संवाद और वार्ता में बना रहेगा ताकि एक निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजा जा सके।’ मोदी ने कहा था, ‘चीन के साथ हमारा संवाद जारी है और यह जारी रहना चाहिए। चीन के साथ हमारी एक समस्या नहीं है, चीन के साथ हमारी तमाम समस्याएं लंबित हैं। कई मुद्दे हैं।’ भारत को चीन से पहले मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) की सदस्यता मिलने पर हांग ने कहा, ‘हमने देखा है कि कुछ बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाएं किसी न किसी तरीके से बदली हैं। इसे ध्यान में रखते हुए चीन अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था के सुरक्षा मानकों में एमटीसीआर के प्रभावों का मूल्यांकन कर रहा है।’
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बीजिंग: चीन के एक सरकारी अखबार ने कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के प्रयास का चीन की ओर से विरोध करना ‘नैतिक रूप से उचित’ है और पश्चिम ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में नई दिल्ली को दंभी बनाकर उसे बिगाड़ दिया है। 'ग्लोबल टाइम्स' ने अपने संपादकीय में कहा कि 48 सदस्यीय समूह में भारत के प्रवेश को चीन ने नहीं, बल्कि नियमों ने रोका। उसने कहा कि चीन सहित करीब 10 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को एनएसजी में शामिल करने का विरोध किया। अखबार के संपादकीय में कहा गया है, 'भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, लेकिन एनएसजी में शामिल होने का सबसे सक्रिय आवेदक है। सोल बैठक से पहले भारतीय मीडिया ने भारत के प्रयास को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। कुछ ने यहां तक दावा कर दिया कि चीन को छोड़कर एनएसजी के अन्य 47 सदस्यों ने हरी झंडी दे दी है।' उसने कहा, 'भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर किए बिना एनएसजी में शामिल होकर पहला अपवाद बनना चाहता है। यह चीन और दूसरे सदस्यों के लिए नैतिक रूप से उचित है कि वे सिद्धांतों के बचाव में भारत के प्रस्ताव को गिराएं।' अपने राष्ट्रवादी रुख की पहचान रखने वाले इस अखबार ने कहा कि भारत पश्चिम के लिए चहेता बनता जा रहा है। उसने भारत के एनएसजी के नाकाम प्रयास को लेकर भारतीय मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया की आलोचना की, हालांकि उसने कहा कि भारत सरकार ने ‘विनम्रतापूर्वक’ व्यवहार किया।
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि उनका देश कश्मीर मुद्दे पर अपने ‘सैद्धांतिक रूख’ से पीछे नहीं हटेगा और जब भी भारत के साथ बातचीत होगी, कश्मीर मुद्दा एजेंडे में शीर्ष पर होगा। प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज यहां विदेश नीति और इस क्षेत्र में उभरती चुनौतियों से निबटने की पाकिस्तान की रणनीति पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान भारत से शांतिपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन वह कश्मीर पर अपने सैद्धांतिक रूख से पीछे नहीं हटेगा। ’ उन्होंने कहा कि भारत के साथ जब भी बातचीत होगा, कश्मीर एजेंडे में शीर्ष पर होगा। अजीज ने कहा कि भारत कश्मीर को लेकर पाकिस्तान पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है जो स्वीकार्य नहीं है। वैसे पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर किसी भी तनाव के खिलाफ है। पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर जनवरी में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत पाकिस्तान द्विपक्षीय वार्ता थमी हुई है। पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों ने यह हमला किया था।
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