लंदन: ब्रिटेन के निवर्तमान प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने देश के यूरोपीय संघ (ईयू) छोड़ने के पक्ष में मतदान के बाद अपने पहले संसदीय बयान में 'महत्वपूर्ण साझीदार' भारत की सराहना की और कहा कि ब्रिटेन को यूरोप या बाकी दुनिया से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ से निकलने के पक्ष में ब्रिटेन के वोट डालने के बाद हाउस ऑफ कॉमंस में अपने आधिकारिक बयान में कैमरन ने एक नए प्रधानमंत्री के तहत भविष्य की रणनीति का जिक्र किया। 49 वर्षीय कैमरन ने कहा, 'ईयू के साथ हम किस तरह का संबंध रखेंगे वह नई सरकार तय करेगी, लेकिन मुझे लगता है कि हर कोई इससे सहमत है कि हम अपने यूरोपीय पड़ोसियों और उत्तर अमेरिका के अन्य देशों, राष्ट्रमंडल तथा भारत एवं चीन जैसे अहम साझेदारों के साथ मजबूत संभावित आर्थिक संपर्क चाहते हैं।' उन्होंने कहा, 'ब्रिटेन ईयू से बाहर हो रहा है, लेकिन हमें यूरोप या शेष दुनिया से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।' कैमरन ने कहा कि वह ईयू नेताओं के साथ एक सम्मेलन के लिए मंगलवार को ब्रसेल्स जाएंगे, लेकिन फौरन ही अनुच्छेद 50 (लिस्बन संधि) का इस्तेमाल नहीं करेंगे। पिछले हफ्ते हुए जनमत संग्रह के नतीजों के बाद उन्होंने अपने प्रथम भाषण में इस्तीफे की घोषणा की थी। इसके बाद कंजरवेटिव पार्टी ने कहा कि सितंबर के शुरुआत में एक नए नेता कमान संभालेंगे। कैमरन ने सांसदों के समक्ष स्वीकार किया कि ब्रेग्जिट का नतीजा वह नहीं आया जैसा कि वह चाहते थे, लेकिन नतीजे के बारे में कोई संदेह नहीं था।
उन्होंने कहा कि फैसले को अवश्य ही स्वीकार किया जाना चाहिए और फैसले को सर्वश्रेष्ठ संभावित रूप में लागू करने की प्रक्रिया अवश्य ही अब शुरू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अहम फैसलों के लिए नये प्रधानमंत्री के आने तक इंतजार करना होगा, लेकिन फिलहाल काफी काम शुरू किया जा सकता है। कैमरन ने इस बात की भी पुष्टि की कि देश लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 का जल्द ही इस्तेमाल नहीं करने जा रहा जो ईयू से ब्रिटेन के बाहर होने के ब्योरे को अंतिम रूप देने के लिए दो साल की आवधि तय करता है।