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न्यूयार्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध के विरोध में लंदन और पेरिस से लेकर न्यूयॉर्क और वाशिंगटन की सड़कों पर हजारों लोग उमड़ पडे। इससे पहले एक अमेरिकी संघीय जज ने भी इस प्रतिबंध को स्थगित कर दिया था। प्रतिबंध के विरोध में सबसे बड़ा प्रदर्शन ब्रिटेन की राजधानी में हुआ, जहां करीब 10,000 लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। प्रदर्शन में ‘टेरीजा मे :शेम ऑन यू’ का नारा ब्रिटेन की प्रधानमंत्री की ओर से अमेरिकी नेता को दिए गए समर्थन की निन्दा करते हुए लगाया जा रहा था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 27 जनवरी को जारी किए अपने शासकीय आदेश में सात मुस्लिम बहुल देशों: ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका आने पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। न्यूयॉर्क में भी कल ट्रंप के आदेश के खिलाफ 3,000 लोगों ने प्रदर्शन किया। कार्यकर्ता और समर्थक ऐतिहासिक स्टोनवॉल इन के बाहर जमा होकर प्रदर्शन कर रहे थे।वहीं वाशिंगटन में सैकड़ों लोगों ने एकजुटता दिखाने के लिए व्हाइट हाउस से लेकर कैपिटोल हिल तक प्रदर्शन किया। ब्रिटेन में 18 लाख लोगों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किया। इस याचिका में कहा गया है कि ट्रंप को आधिकारिक यात्रा पर नहीं बुलाया जाना चाहिए क्योंकि इससे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अपमान होगा।
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक ने आज (रविवार) यहां दावा किया कि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी को मार गिराना कश्मीर के लिए ‘महत्वपूर्ण मोड़’ है। उन्होंने घाटी में हिंसा को ‘स्थानीय युवकों के नेतृत्व वाला आंदोलन’ बताया जो राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए भारत के ‘भटके हुए प्रयास’ के चलते पैदा हुआ। विदेश मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने पांच फरवरी को हर साल मनाए जाने वाले ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। अजीज ने दावा किया कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा आठ जुलाई को वानी को मार गिराने के बाद हुई हिंसा में कई मौतें हुईं और कई लोग या तो पूरी तरह से, या आंशिक रूप से दृष्टिहीन हो गये।
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वाशिंगटन: अमेरिकी सरकार ने शरणार्थियों और प्रवासियों पर प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश को लागू करना स्थगित कर दिया है और कहा कि वह इस आदेश पर रोक लगाने वाली एक अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।वाशिंगटन के एक फेडरल जज ने इस प्रतिबंध पर अस्थायी रोक लगाकर व्हाइट हाउस को झटका दिया था। इसके एक दिन बाद ही अमेरिकी सरकार ने इस आदेश को लागू करना स्थगित कर दिया। राष्ट्रपति ने एक सप्ताह पहले सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों और शरणार्थियों को अमेरिका में प्रवेश करने से रोकने वाले एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किये थे। व्हाइट हाउस इस प्रतिबंध को फिर से लागू करने पर काम कर रहा है। दूसरी ओर ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा नियुक्त किये गये अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स रॉबर्ट की खिल्ली उड़ाते हुये उन्हें ‘‘तथाकथित जज’’ बताया और कहा कि उनका ‘बेतुका’ फैसला पलट जाएगा। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, ‘चूंकि एक जज ने प्रतिबंध हटा दिया है, कई सारे बुरे और खतरनाक लोग हमारे देश में घुस सकते हैं। एक भयानक फैसला।’
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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सात मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर रोक लगाने संबंधी अपने विवादित शासकीय आदेश को निलंबित करने वाले अदालती फैसले को ‘हास्यास्पद’ करार दिया है। अध्यादेश पर रोक लगाने का आदेश शुक्रवार रात सिएटल यूएस डिस्ट्रिक कोर्ट के न्यायाधीश जेम्स रॉबर्ट ने दिया था। यह अदालती आदेश पूरे अमेरिका में मान्य होगा। ट्रंप ने शनिवार सुबह ट्वीट किया, ‘इस तथाकथित न्यायाधीश की राय हास्यास्पद है और यह रद्द कर दी जाएगी। यह न्यायाधीश कानून प्रवर्तन को हमारे देश से दूर ले गया है।’ उन्होंने कहा, ‘जब कोई देश यह नहीं कह सके कि कौन कर सकता है और कौन नहीं कर सकता है, खासकर सुरक्षा की वजहों को लेकर फैसला नहीं कर सके तो बड़ी दिक्कत पैदा होती है।’ ट्रंप के विवादित कार्यकारी आदेश के अनुसार ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर कम से कम 90 दिनों तक के लिए रोक रहेगी।
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