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नई दिल्ली: भारत ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव में भाग नहीं लिया, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई थी। मास्को और कीव के बीच बढ़ते संकट पर प्रस्तावों पर विश्व निकाय में भारत का एक सप्ताह से भी कम समय में यह तीसरा बहिष्कार है। दरअसल, 193 सदस्यीय महासभा ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान किया और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की।
प्रस्ताव को पक्ष में पड़े 141 मतों के साथ अपनाया गया है, जबकि पांच सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 35 सदस्यों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव पारित होने पर महासभा ने तालियां बजाईं। प्रस्ताव के महासभा में पारित होने के लिए 2/3 बहुमत की आवश्यकता थी। प्रस्ताव में परमाणु बलों की तैयारी बढ़ाने के रूस के फैसले की भी निंदा की गई और यूक्रेन के खिलाफ बल के इस "गैरकानूनी उपयोग" में बेलारूस की भागीदारी की निंदा की। साथ ही अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने का आह्वान किया।
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नई दिल्ली: युद्ध से प्रभावित यूक्रेन में रूस के हमले तेज होते जा रहे हैं. यूक्रेन में भारी गोलाबारी के बीच भारत ने इस देश के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव से सभी भारतीयों को तत्काल निकलने को कहा है. इंडिया इन यूक्रेन की ओर से ट्वीट किया गया है, 'खारकीव में रह रहे सभी भारतीयों को जरूरी सलाह...अपनी सुरक्षा के लिए खारकीव खरह को तुरंत छोड़ दें. जितनी जल्द संभव हो सके पेसोचिन, बाबाये और बेजलियुडोवका की ओर बढ़ें हर हाल में उन्हें यहां पर यूक्रेन के समयानुसार 1800 बजे तक (शाम छह बजे तक) पहुंचना होगा.'
एक अन्य एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि जिन स्टूडेंट को वाहन नहीं मिले हैं और जो रेलवे स्टेशन पर हैं वे पैदल ही पेसोचिन (11 किमी), बाबाये (12 किमी) और बेजलियुडोवका (16 किमी )की ओर बढ़ें। गूगल मैप के अनुसार, ये स्थान खारकीव के बाहरी इलाके में प्रतीत होते हैं। इस पर तुरंत अमल करें और हर हाल में यू्क्रेनियन समय के अनुसार, शाम छह बजे तक यहां पहुंचें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लेकर बढ़ती मुश्किलों के बीच यह एडवाइजरी सामने आई है।
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कीव: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने मंगलवार को कहा कि युद्धविराम पर सार्थक बातचीत शुरू होने से पहले रूस को यूक्रेनी शहरों पर बमबारी बंद करनी होगी। बता दें कि इसी हफ्ते पहले दौर की बातचीत से कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पाया था। मीडिया रिर्पोटर्स के मुताबिक, एक इंटरव्यू में जेलेंस्की ने नाटो सदस्यों से रूसी वायुसेना को रोकने के लिए नो फ्लाई जोन लगाने का आग्रह किया। उन्होंने ये भी कहा कि इस मुश्किल समय में यूक्रेन की मदद करके नाटो देश युद्ध में नहीं कूदेंगे, बल्कि वो सुरक्षा उपाय बढ़ाने का काम करेंगे।
रूसी सेना के आक्रमण के बाद भी जेलेंस्की ने यूक्रेन की राजधानी छोड़ने से इंकार कर दिया है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर उनके देश को नाटो में शामिल नहीं किया जाता है, तो भी उन सभी देशों से उन्हें सुरक्षा की एक पुख्ता गारंटी चाहिए। रूस के साथ आगे की बातचीत को लेकर जेलेंस्की ने सीएनएन से कहा कि रूस को कम से कम लोगों पर बमबारी करना बंद करना चाहिए, बस बमबारी को रोके और फिर बातचीत की मेज पर बैठे।
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वाशिंगटन: यूक्रेन पर रूस लगातार हमला तेज कर रहा है। वहीं अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश रूस पर लगातार प्रतिबंध लगा रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वह रूस को मनमानी नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों के जरिए रूस की अर्थव्यवस्था ठप कर दी जाएगी और वह यूक्रेन की इंच-इंज ज़मीन की रक्षा करेंगे। हालांकि उन्होंने यूक्रेन में फौज उतारने को लेकर कुछ नहीं कहा।
बाइडन ने कहा, अमेरिकी सेना रूस के साथ भिड़ेगी नहीं लेकिन वह रूस को मनमानी करने से रोकेंगे। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की हर संभव मदद की जा रही है। मानवीय सहायता भेजी जा रही है। बाइडन ने कहा कि नाटो देशों के साथ मिलकर वह यूक्रेन की इंच-इंच जमीन बचाएंगे। अगर रूस मनमानी नहीं बंद करता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
यूक्रेन की तारीफ करते हुए बाइडन ने कहा कि वहां के लोग हिम्मत के साथ रूस का सामना कर रहे हैं। पुतिन भले ही इस समय यूक्रेन से ताकतवर हों लेकिन समय आने पर उन्हें इस आक्रोश की कीमत चुकानी पड़ेगी।
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