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मसूरी (उत्तराखंड):: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज (शुक्रवार) जोर देकर कहा कि ‘‘एकरूपता’’ भारत के बहुलवाद की जगह नहीं ले सकती । उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयोग यदि ‘‘थोपे’’ गये तो भी सफल नहीं होंगे, जैसा कि हमने अतीत में देखा है। यहां अखिल भारतीय सेवाओं के 91वें फाउंडेशन कोर्स को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने भारतीय मतदाताओं द्वारा अवसरवादी गठबंधनों को दरकिनार कर 30 साल बाद केंद्र में किसी एक राजनीतिक पार्टी को स्पष्ट जनादेश देने को लेकर दिखाई गई ‘‘अद्भुत’’ परिपक्वता की भी तारीफ की । उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य के नीति-निर्माताओं के तौर पर आपकी जिम्मेदारी उस व्यवस्था को मजबूत करने की है, जिसे इस मकसद से स्थापित किया गया कि हम अपने बहुलवादी चरित्र, अपनी बहुलता की जगह एकरूपता नहीं लाएं । यदि ऐसी एकरूपता थोपी भी जाए तो यह सफल नहीं होगी, जैसा कि पिछले कई मौकों पर साबित हो चुका है ।’’ भारतीय मतदाताओं की समझदारी पर प्रणव ने कहा कि लोगों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है और अब ‘‘चुने हुए लोगों’’ की जिम्मेदारी है कि वे उनकी आकांक्षाओं को मूर्त रूप दें ।

मुखर्जी ने कहा कि लोगों ने तय किया कि सिर्फ सरकार बनाने के लिए ‘‘मनमौजी, स्वार्थी, अवसरवादी राजनीतिक गठबंधन से बहुत प्रयोग हो चुका’’, इसलिए 30 साल के बाद उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी के पक्ष में ‘‘स्पष्ट राजनीतिक जनादेश’’ दिया ।

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