बेंगलुरू: कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार द्वारा राज्य विधानसभा के भीतर वीर सावरकर का पोर्ट्रेट लगाए जाने के बाद विपक्षी दलों ने विधानसभा भवन की सीढ़ियों पर ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता सिद्धारमैया, जो इस वक्त नेता प्रतिपक्ष है, ने विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और कर्नाटक विधानसभा में विवादास्पद व्यक्तित्व का पोर्ट्रेट लगाने की ज़रूरत पर सवाल खड़ा किया।
इस मुद्दे पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, "मुझे विधानसभा में तस्वीर लगाए जाने के बारे में जानकारी नहीं है... मैं अभी पहुंचा हूं और विधानसभा के भीतर क्या होता है, इसकी ज़िम्मेदारी स्पीकर की होती है... मैं इस मुद्दे को लेकर स्पीकर तथा नेता प्रतिपक्ष से बात करूंगा।"
कर्नाटक में विनायक सावरकर को लेकर हो रहे विवादों में यह ताज़ातरीन है, जबकि अगले ही साल राज्य में फिर विधानसभा चुनाव होने तय हैं। दरअसल, सूबे की भाजपा सरकार वीर सावरकर के बारे में राज्यव्यापी जागरूकता अभियान चला रही है।
जिसे एक कदम आगे ले जाते हुए उसने इस बार विधानसभा में सावरकर का पोर्ट्रेट लगा दिया है।
वीर सावरकर का संबंध बेलगावी से भी रहा है, जो कर्नाटक तथा पड़ोसी महाराष्ट्र के बीच जारी सीमा विवाद का केंद्र है। वर्ष 1950 में सावरकर को बेलगावी स्थित हिन्डालगा केंद्रीय कारागार में चार महीने के लिए सावधानीवश हिरासत में रखा गया था। उस वक्त उनकी गिरफ़्तारी के आदेश मुंबई से जरी हुए थे और उन्हें बेलगावी पहुंचते ही गिरफ़्तार कर लिया गया था। उस समय पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने लियाक़त अली ख़ान के दिल्ली दौरे का विरोध करने से रोकने के लिए सावरकर को सावधानीवश हिरासत में रखा गया था।
सावरकर की रिहाई उनके परिवार द्वारा याचिका दायर किए जाने के बाद की गई थी। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक शपथपत्र (एफिडेविट) भी दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने राजनैतिक गतिविधियों से दूर रहने का वादा किया था।
अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले होने वाला बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का अंतिम शीतकालीन सत्र भी बेलगावी में ही हो रहा है। 10-दिवसीय सत्र में भी सीमा विवाद के छाए रहने की संभावना है। इसी संदर्भ में जिला प्रशासन ने महाराष्ट्र से शिवसेना के लोकसभा सांसद धैर्यशील माने के बेलगावी में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है।