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बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के लिए उस समय परेशानियां बढ़ गईं जब इसमें शामिल जनता दल (एस) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एएच विश्वनाथ ने अपने पद से त्यागपत्र देते हुये गठबंधन के कामकाज के तरीके की आलोचना की और गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के दो वरिष्ठ विधायकों ने लोकसभा में हार के लिए राज्य के नेताओं को निशाने पर लिया। ये घटनाक्रम दर्शाता है कि एक साल पुरानी एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं जबकि सत्तारूढ़ दल कैबिनेट विस्तार और मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करके सरकार को बचाने की कोशिशों में लगा हुआ है।

मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक, पार्टी के खास मामलों में कथित तौर पर दरकिनार किए जाने से नाराज विश्वनाथ ने कहा, ''मैं इस पराजय (पार्टी की) की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं। उन्होंने समन्वय समिति के प्रमुख सिद्धरमैया पर कांग्रेस व जद(एस) के मध्य समुचित समन्वय बनाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार के सही ढंग से चलने के लिए यह समिति एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं बना सकी।

लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद राज्य में किसी बड़े नेता का यह पहला इस्तीफा है। राज्य की 28 लोकसभा सीटों पर पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था पर उन्हें मात्र एक-एक सीट पर ही सफलता मिल पाई। भाजपा 25 सीटों पर कामयाब रही। जबकि भाजपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी सुमालता अंबरीश ने मांड्या से जीत हासिल की।

कांग्रेस के खेमे में भी इस तरह के विरोध की आवाजें सुनाई दे रही हैं। वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। एक अन्य वरिष्ठ नेता रोशन बेग ने भी मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की। बेग पहले भी पार्टी नेताओं को खरीखोटी सुना चुके हैं। हालांकि बेग को पार्टी पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर चुकी है।

उधर चिकबल्लापुर के विधायक सुधाकर ने कहा है कि सिद्धरमैया सरकार में मंत्री रहे इन लोगों को गठबंधन सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया इसलिए अब वे ऐसी बाते कर रहे है। मौजूदा सरकार में 34 मंत्री हैं और इसमें कांग्रेस के 22 और जद(एस) के 12 सदस्य हैं। अभी इसमें तीन और लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है। इसमें जद(एस) के कोटे से दो और कांग्रेस के कोटे से एक को मंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव हैं।

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