नई दिल्ली: पहले से ही नेतृत्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस पर कर्नाटक में भी संकट गहरा गया है। यहां उसकी गठबंधन सरकार के सामने पैदा हुआ संकट अब तक हल नहीं हो सका है। कांग्रेस-जेडीएस नेताओं के बयानों ने इस मुश्किल को और बढ़ा दिया है। यहां के सियासी हालात को देख कांग्रेस ने अब मामला सुलझाने की तैयारी तेज कर दी है। कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) सरकार पर संकट और दोनों पार्टियों में मतभेद की खबरों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य प्रभारी केसी वेणुगोपाल मंगलवार को बेंगलुरू पहुंच रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि वह राज्य सरकार के मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं और विधायकों से मुलाकात कर संकट को दूर करने का प्रयास करेंगे। पार्टी के विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को भी कर्नाटक जाना था, लेकिन राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद पैदा हुए राजनीतिक हालात के मद्देनजर उनका दौरा रद्द हो गया। इस बीच मंगलवार को बंगलूरू में सीएम एचडी कुमारस्वामी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने अहम बैठक की।
दिनभर मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर भी चर्चा गर्म रही और दावेदार भी सामने आ गए। कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने कहा कि मैं भी मंत्रिपद की इच्छा रखता हूं, अब ये पार्टी और हाई कमान पर है कि वो क्या सोचते हैं, किसे जगह देते हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि सरकार को एक साल पूरा करना है। सबसे ऊपर पार्टी है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी नेता कह रहे थे कि 23 मई के बाद कांग्रेस-जद(एस) की सरकार चली जाएगी। कुछ दिनों पहले ही कर्नाटक कांग्रेस के दो विधायकों ने भाजपा नेता एस.एम. कृष्णा से मुलाकात की थी, जिससे ये अटकलें और तेज हो गई थीं।
कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से इस बार भाजपा ने 25 सीटें हासिल की हैं तो वहीं कांग्रेस-जद(एस) को 1-1 सीट मिली है। एक सीट निर्दलीय सांसद के खाते में गई है। राज्य विधानसभा चुनाव में 225 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, जनता दल (एस) को 37, बसपा को 1 और अन्य को तीन सीटों पर जीत मिली थी।