गांधीनगर: गुजरात में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस में रहेंगे या नहीं, वे भाजपा में जाएंगे या अपनी खुद की पार्टी को खड़ा करेंगे। इन तमाम अटकलों का आज मंगलवार को भी कोई जवाब नहीं मिल सका। कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस से नाराज चल रहे वाघेला आज कुछ धमाका कर सकते हैं। लेकिन उन्होंने अपने रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए अब 24 जून का दिन मुकर्रर किया है। वाघेला अब अपने भविष्य की रणनीति का खुलासा 24 तारीख को करेंगे। इसके लिए उन्होंने अपने समर्थकों का एक सम्मेलन बुलाया है। उन्होंने कहा कि वे अपने सहयोगी और मित्रों से सलाह-मशविरा करके कोई कदम उठाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वे भाजपा में तो कतई नहीं जा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला द्वारा आहुत समर्थकों का सम्मेलन कांग्रेस पर दबाव बनाने की आखिरी तुरुप चाल होगी। वे शक्ति प्रदर्शन के जरिए कांग्रेस आलाकमान को यह साबित करना चाहेंगे कि आने वाले विधानसभा चुनावों में वे ही कांग्रेस की तरफ से सबसे मजबूत मुख्यमंत्री के दावेदार हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि 77 वर्षीय वाघेला खुद को कांग्रेस से अलग कर अपना स्वयं की पार्टी को फिर अस्तित्व में ला सकते हैं. ये भी कयास थे कि आज यानी मंगलवार को उनके द्वारा बुलाए संवाददाता सम्मेलन में इस बात की घोषणा की जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
वाघेला ने पत्रकारों को बताया कि वे कांग्रेस और कांग्रेस आलाकमान से बिल्कुल भी नाराज़ नहीं हैं। उनकी नाराज़गी चुनावी तैयारियों को लेकर हैं, जो कि इस समय नहीं के बराबर हैं। गौरतलब है कि पिछले काफी दिनों से वाघेला कांग्रेस में अपनी उपेक्षा के चलते काफी नाराज चल रहे हैं। उन्होंने इस बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। बीच में चर्चा चली थी कि कांग्रेस के बड़ी संख्या में नाराज विधायक भाजपा का दामन थामने की तैयारी कर रहे हैं। इस चर्चा से घबराई कांग्रेस को मौजूदा सभी विधायकों को टिकट देने की घोषणा करनी पड़ी. कांग्रेस के वर्तमान में 57 विधायक हैं। उधर, सत्ताधारी भाजपा, जो कि लगातार तीन बार से शासन कर रही है, ने चुनावी तैयारियां काफी पहले ही शुरू कर दी थीं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं और सीटों के लिए संख्या का लक्ष्य तय करते हुए "मिशन 150" घोषित कर चुके हैं। वर्तमान में गुजरात विधानसभा की 182 सीटें में से 115 पर भाजपा का कब्जा है। यहाँ ये ज़िक्र करना ज़रूरी है कि अभी तक सूबे के तीनों विधान सभा चुनाव में भाजपा विधयकों कि संख्या काम हुई है। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2002 के चुनाव में भाजपा को 127 सीट मिली थीं, जो 2007 के चुनाव में घटकर 117 रह गई थी। देश के अगले प्रधानमंत्री के नारे पर लड़े गए 2012 के चुनाव में मोदी अपने पिछले प्रदर्शन को बरक़रार नहीं रख सके थे और वह घटकर 115 सीट पर सिमट गए थे।