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हैदराबाद: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े ने बेंगलुरू में एमनेस्टी इंटरनेशनल के आयोजन में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कथित भारत विरोधी नारे लगाए जाने के चलते संगठन के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाए जाने को उचित ठहराया है और साथ ही उन्होंने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल यह कहकर अपनी जिम्मेदारियों ‘‘भाग’’ नहीं सकती कि उसके किसी कर्मचारियों ने ये नारे नहीं लगाए। भारत के पूर्व ‘सॉलिसिटर जनरल’ रह चुके हेगड़े ने कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल की जिम्मेदारी क्या है? उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि जब आप ऐसे लोगों को लेकर आते हैं और उन्हें कुछ भी कहने की मंजूरी देते हैं, (और) फिर यह कहते हैं कि मैं इसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं। नहीं, आपने ही उनके लिए यह मंच मुहैया कराया.. आप भी इस अपराध के भागी हैं। आप इससे भाग नहीं सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आजादी (कश्मीर की) के समर्थन में नारे लगाना देशद्रोह है। मेरे मुताबिक तो यह देशद्रोह है।’ उन्होंने कहा, ‘अब आईए इस संस्थान (एमनेस्टी) की विश्वसनीयता पर आते हैं। जब सैनिक मारे जाते हैं तब एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या करती है? जब इस देश में अन्य आतंकवादी गतिविधियां होती हैं तब एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या करती है? क्या उन्होंने तब इस तरह की किसी बैठक का आयोजन किया है? आप बस थोड़ी सा प्रचार चाहते हैं और जब यह दांव उल्टा पड़ता है तो आप भाग खड़े होते हैं।’

कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त ने कहा, ‘‘बेंगलुरू घटना में जो कुछ भी कहा गया, उसे ध्यान में रखते हुए मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि यह देशद्रोह है।’’ शनिवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल के आयोजन में हुए एक कार्यक्रम में कश्मीर पर हो रही चर्चा के दौरान कथित तौर पर भारत-विरोधी नारे लगे थे, जिसके कारण अधिकारियों ने देशद्रोह सहित आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एनजीओ के खिलाफ मामला दर्ज किया। बहरहाल, अपनी ओर से एमनेस्टी ने एबीवीपी की ओर से लगाए गए आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया और एमनेस्टी ने कार्यक्रम के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए पूरी आयोजन प्रक्रिया की एक सीडी भी सौंपी थी और यह दावा किया था कि उसके किसी कर्मचारी ने भारत-विरोधी कोई नारा नहीं लगाया।

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