कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा ने उस विधेयक को मंजूरी दे दी है जिसके तहत अब राज्यपाल नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य संचालित यूनिवर्सिटी की चांसलर होंगी। भाजपा के विधायकों ने इस बिल का विरोध किया हालांकि इसके बावजूद बिल के पक्ष में 182 और इसके खिलाफ महज 40 वोट पड़े। विधानसभा में बिल पेश करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री बृत्य बसु ने कहा, "मुख्यमंत्री के चांसलर पद संभालने में कुछ भी गलत नहीं है।"
उन्होंने कहा, "जब प्रधानमंत्री केंद्रीय यूनिवर्सिटी-विश्व भारती के चांसलर हैं, तो मुख्यमंत्री, राज्य विश्वविद्यालयों के चांसलर क्यों नहीं हो सकते। आप पुंछी कमीशन की सिफारिशों को देख सकते हैं। राज्यपाल जो कि मौजूदा चांसलर हैं, ने कई मौकों पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है।"
इस घटनाक्रम से मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच टकराव और बढ़ने की आशंका है। तृणमूल कांग्रेस पार्टी, कई बार केंद्र के इशारे पर सीएम ममता बनर्जी की सरकार को परेशान करने का आरोप राज्यपाल धनखड़ पर लगा चुकी है।
पश्चिम बंगाल राजभवन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कानून के मुताबिक, राज्यपाल की 17 यूनिविर्सिटीज के चांसलर यानी कुलाधिपति हैं, इनमें कलकत्ता यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कल्याणी, रबिंद्र भारती यूनिवर्सिटी, विद्यासाागर यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ बर्धवान, नॉथ बंगाल यूनिवर्सिटी व अन्य शामिल हैं। दूसरी ओर, शांतिनिकेतन में विश्व भारती के प्रधान या रेक्टर राज्यपाल हैं जबकि पीएम नरेंद्र मोदी चांसलर (कुलाधिपति) हैं। इसी वर्ष जनवरी में राज्यपाल धनखड़ ने आरोप लगाया था कि बंगाल में 25 यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को उनकी सहमति के बगैर नियुक्त किया गया।