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कालियागंज (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (3 मार्च) को कहा कि बांग्लादेश से आए वे सभी लोग जो चुनावों में मतदान कर रहे हैं वे भारतीय नागरिक हैं और उन्हें नए सिरे से नागरिकता के लिए आवेदन देने की कोई जरूरत नहीं है। बनर्जी ने दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों से निपटने के मोदी सरकार के तरीके की आलोचना की और कहा कि वह पश्चिम बंगाल को दूसरी दिल्ली नहीं बनने देंगी।

उन्होंने एक जनसभा में यहां कहा, ''बांग्लादेश से आए लोग भारत के नागरिक हैं...उनके पास नागरिकता है। आपको नागरिकता के लिए फिर से आवेदन देने की जरूरत नहीं है। आप चुनाव में मतदान करके प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री चुन रहे हैं...और अब वे कह रहे हैं कि आप नागरिक नहीं हैं...उनका विश्वास मत कीजिए।" बनर्जी ने जोर देकर कहा कि वह एक आदमी को भी बंगाल से बाहर नहीं निकालने देंगी। उन्होंने कहा कि राज्य में रह रहे किसी भी शरणार्थी को नागरिकता से वंचित नहीं किया जाएगा।

दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ''भूलिए मत कि यह बंगाल है। जो दिल्ली में हुआ, उसे यहां नहीं होने दिया जाएगा। हम नहीं चाहते कि बंगाल एक और दिल्ली या उत्तर प्रदेश बने।"

भाजपा ममता पर 'मुस्लिमों के तुष्टिकरण' और 'वोट बैंक' की राजनीति करने का आरोप लगाती रही है।

इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार (28 फरवरी) को भुवनेश्वर में कहा था कि पूर्वी क्षेत्रीय परिषद (ईजेडसी) की बैठक में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) या एनआरसी पर चर्चा नहीं हुई लेकिन उन्होंने दिल्ली हिंसा का मुद्दा उठाया। बनर्जी ने दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता जताई, जिनमें अब तक 42 लोगों की जान जा चुकी है और कहा कि ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जिससे स्थिति अब और न बिगड़े।

उन्होंने बैठक में कहा था, “दिल्ली में जो हुआ उससे मैं बेहद दुखी हूं। एक पुलिस कांस्टेबल और एक आईबी कर्मचारी भी मारे गए। दिल्ली में शांति अवश्य ही बहाल होनी चाहिए।” ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा दिए गए दोपहर के भोज के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए बनर्जी ने कहा था कि बैठक में सीएए या एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई क्योंकि यह एजेंडे में नहीं था।

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