कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि अगर कोई विदेशी नागरिक अपने मूल देश से वैध पासपोर्ट नहीं होने के संबंध में उचित कारण दे सके तो उसके लिए भारतीय नागरिकता का आवेदन करते समय अपने मूल देश का पासपोर्ट देना अनिवार्य नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति सव्यसाची भट्टाचार्य ने याचिकाकर्ता को नागरिकता नियम 2009 के नियम 11 में अपेक्षित अधिकारी के समक्ष आवेदन करने की अनुमति देते हुए उसकी याचिका का निपटारा कर दिया और कहा कि वह पासपोर्ट अनुपलब्धता से संबंधित सवाल का जवाब संबंधित अधिकारी से मांगे।
अदालत ने कहा कि नागरिकता आवेदन के फॉर्म III के खंड 9 में आवेदक के लिए पासपोर्ट को जरूरी बताते हुए कहा गया है कि आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों में वैध विदेशी पासपोर्ट भी होना चाहिए। यह आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि नियम कहता है कि ''जब तक आवेदन फॉर्म III में नहीं किया जाए तब तक इस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, ऐसे प्रावधान पासपोर्ट की उपलब्धता को अनिवार्य नहीं बनाते। अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता पासपोर्ट नहीं होने की स्थिति में अधिकारियों को इसका वाजिब कारण बताता है तो ऐसे मामलों में ऐसी आवश्यकता में ढील होनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि जब तक ऐसे आवेदकों को थोड़ी छूट नहीं दी जाएगी तब तक भारत में लंबे समय से रह रहे ईमानदार व्यक्ति भी देश की अर्थव्यवस्था और विविध संस्कृति में योगदान करने के बावजूद भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से वंचित रहेंगे। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह ''भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 की मूल भावना के विपरीत होगा।