कोलकाता: पश्चिम बंगाल में शुक्रवार (7 फरवरी) से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल और सरकार के बीच काफी गहमागहमी होने की उम्मीद है क्योंकि राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की उस सलाह को मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने सत्र की शुरुआत में पढ़े जाने वाले अभिभाषण में कुछ बदलाव करने की मांग की थी। राज्यपाल के प्रेस सचिवमानब बंदोपाध्याय ने गुरुवार को मीडिया में जारी एक बयान में कहा, " धनखड़ ने भाषण के कुछ पैराग्राफ में बदलाव अथवा अतिरिक्त अंश जोड़ने और कुछ नए पैराग्राफ जोड़ने को लेकर राज्य सरकार को सुझाव भेजे थे। सरकार ने इसके जवाब में 6 फरवरी को राजभवन से कहा कि भाषण के अंश भेजे जा चुके हैं और वह फाइनल हैं।"
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार (6 फरवरी) को कहा था कि वह बजट सत्र की शुरुआत में विधानसभा में अपने अभिभाषण से ''इतिहास कायम'' करेंगे। तृणमूल कांग्रेस ने धनखड़ के इस बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वह जानबूझकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
धनखड़ ने यहां पत्रकारों से कहा, ''मैं पहली बार बजट सत्र के दौरान विधानसभा में अभिभाषण दूंगा। मुझसे पहले विधानसभा में बजट सत्र में अभिभाषण देने वाले मेरे पूर्ववर्ती आजादी से पहले पैदा हुए थे। मैं अभिभाषण देने वाला आजादी के बाद पैदा हुआ पहला राज्यपाल बनूंगा। मैं इतिहास रचूंगा।'' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास अधिकार है कि वह राज्यपाल के अभिभाषण में अपनी उपलब्धियों को आगे रखे।
धनखड़ ने कहा, ''मैंने भी राज्यपाल होने के नाते, राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कुछ सुझाव दिए हैं। मैं इस बात का खुलासा नहीं करूंगा कि वे सुझाव क्या हैं। मुझे लगता है कि इन सुझावों को मेरे अभिभाषण में रखा जाएगा।'' नियमों के अनुसार, बजट सत्र के दौरान पढ़ा जाने वाला राज्यपाल का भाषण राज्य सरकार तैयार करती है, जिसमें सरकार के नीतिगत फैसलों का जिक्र होता है।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नियमों के अनुसार सरकार की मंजूरी से लिखे गए भाषण से अलग जो कुछ भी राज्यपाल पढ़ेंगे, वह रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा।