कोलकाता: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने पहली बार शनिवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि मनाने का निर्णय लिया। हालांकि सरकार के इस निर्णय पर राजनीति शुरू हो गई है। सीपीआईएम इस पहल को तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच एक और 'मिलीभगत' के रूप में देख रही है। सूचना एवं संस्कृति विभाग की तरफ से जारी औपचारिक निमंत्रण पत्र के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री फिरहद हकीम और सोवनदेब चट्टोपाध्याय श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर पश्चिमी कोलकाता के केवड़ातल्ला श्मशान घाट में आयोजित विशेष कार्यक्रम में शिरकत की।
तृणमूल कांग्रेस की नेता और कोलकाता म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की अध्यक्ष माला रॉय ने कहा कि, 'महान विभूतियों को सम्मान देना हमारी परंपरा है और हम इस संस्कृति में विश्वास रखते हैं।' उन्होंने कहा कि, 'शनिवार को पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तांबे की प्रतिमा का अनावरण होगा, उसके बाद उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाएगा।'
गौरतलब है कि मार्च में त्रिपुरा में कथित तौर पर भाजपा-आरएसएस समर्थकों द्वारा रूस के क्रांतिकारी नेता व्लादिमीर लेनिन की प्रतिमा को तोड़ने के बाद पश्चिम बंगाल में इसके विरोध के रूप में लेफ्ट समर्थकों द्वारा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा तोड़ दी गई थी। बाद में राज्य सरकार द्वारा यहां नई प्रतिमा लगवाई गई थी और घटना में शामिल लेफ्ट समर्थकों को गिरफ्तार भी किया गया था।
तृणमूल नेता सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राजनीतिक फायदे के लिए भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे को कभी स्वीकार नहीं करते। भाजपा धर्म को राजनीति से जोड़ रही है और राजनीतिक फायदे के लिए घृणा का वातावरण तैयार करने में लगी है।
दूसरी तरफ भाजपा नेता प्रताप बनर्जी ने चुटकी लेते हुए कहा कि, 'ममता बनर्जी को हर जगह भाजपा का भूत दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि अचानक उन्हें श्यामा प्रसाद मुखर्जी याद आ गये।'