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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा ने अपनी रणनीति बदलने मजबूर कर दिया है। पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में भाजपा के बढ़ते प्रभाव ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ऐसा करने के लिए मजबूर किया है। ममता बनर्जी बीरभूम में अगले महीने ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित कर सकती हैं। इसे ममता सरकार के सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड की तरह देखा जा रहा है।

ममता बनर्जी अब अपने कार्यक्रमों से खुद के 'सहिष्णु हिंदू' होने का संदेश दे रही हैं। बीते मंगलवार को राज्य की सीएम ने अपने गंगासागर दौरे के दौरान कपिलमुनि आश्रम में मुख्य पुजारी के साथ करीब एक घंटा बिताया। मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं इस जगह दोबारा आऊंगी।' ममता के इस कदम को उनकी अल्पसंख्यक समर्थक छवि को काउंटर करने के तौर पर देखा जा रहा है।

जिस तरह भारतीय जनता पार्टी का जनाधार लगातार राज्य में बढ़ रहा है, उसकी काट निकालते हुए ममता बनर्जी ने ये फैसला लिया है। बता दें कि बीते दिनो राज्य में हुए उपचुनावों में सबांग और दक्षिण कांति जैसी जगहों पर भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है। ये दोनों ही जगह ऐसी हैं, जहां भाजपा कभी भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं रही।

सबांग विधान सभा क्षेत्र में तृणमूल को जहां 1,06,179 वोट मिले हैं, वहीं भाजपा 37,476 वोट मिले हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 2016 के चुनाव में यहां भाजपा को महज 5610 वोट मिले थे।

माना जा रहा है कि टीएमसी प्रमुख को इस बात का अहसास हो गया है कि भाजपा चुनावों के दौरान हिंदुओं को एकजुट करने में सफल हो रही है। मोदी ने अपने 'हिंदू कैंप' में ओबीसी और एससी वोटों को भी शामिल कर लिया है। इसके साथ भाजपा यह संदेश देने में भी सफल रही है कि उनकी पार्टी सिर्फ ब्राह्मण और अपर कास्ट हिंदुओं की पार्टी नहीं है।

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