पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में धांधली के आरोपी डॉ. मेवालाल चौधरी को जदयू कोटे से मंत्री बनाया है। धांधली का आरोप झेल रहे मेवालाल को राज्य के शिक्षा विभाग की अहम जिम्मेदारी भी सौंपी गई हैं। वहीं, राजद ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार को घेर लिया है। पार्टी नेता तेजस्वी यादव ने मेवालाल को मंत्री बनाए जाने को भ्रष्टाचारियों को पुरस्कृत करने जैसा करार दिया।
बुधवार को तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में भादंवि की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का इनाम एवं लूटने की खुली छूट प्रदान की है?' इससे पहले, राजद ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, 'जिस भ्रष्टाचारी जदयू विधायक को सुशील मोदी खोज रहे थे, उसे नीतीश कुमार ने मंत्री बना दिया है।' दूसरी तरफ, बिहार के नए शिक्षा मंत्री से पूछताछ के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने डीजीपी एसके सिंघल को पत्र लिखा है।
भागलपुर कृषि विवि के कुलपति रह चुके
गौरतलब है कि नवनिर्वाचित जदयू विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी को राज्य की तारापुर विधानसभा सीट से जीत मिली है। उन्हें पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजनीति में प्रवेश से पहले साल 2015 तक मेवालाल भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। 2015 में रिटायर होने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। चुनाव में जीत मिलने के बाद मेवालाल पर नियुक्ति घोटाले का गंभीर आरोप लगा। इस मामले में 2017 में केस दर्ज किया गया था। फिलहाल इस मामले में विधायक को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली हुई है।
पत्नी की मौत के मामले में भी पूछताछ की मांग उठी
वहीं, पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने डीजीपी को लिखे अपने पत्र में मेवालाल चौधरी की पत्नी की मौत मामले में भी उनसे पूछताछ की मांग की है। मेवालाल की पत्नी स्वर्गीय नीता चौधरी 2010 से 2015 तक तारापुर से विधायक थीं। वह राजनीति में खासी सक्रिय थीं और जदयू के मुंगेर प्रमंडल की सचेतक भी थीं। 2019 में सिलिंडर में लगी आग से झुलसकर उनकी मौत हो गई थी।
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने भी डॉ. मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मेवालाल जैसों को शिक्षा मंत्री बना कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने अपनी छवि को खुद ही धूमिल कर राजनीतिक प्रतिष्ठा को हल्का बना दिया है।'