पटना: बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय रविवार को जदयू में शामिल हो गए। उन्होंने आज शाम सीएम नीतीश कुमार के आवास पर उनकी मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। जदयू में शामिल होने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, नीतीश कुमार हमारे नेता हैं। पार्टी जो भी हमसे कहेगी वह करूंगा। मैं दिल का साफ आदमी हूं। मुझे तो अभी पता भी नहीं है कि राजनीति क्या होती है। जो भी हमारे नेता का आदेश होगा उसका पालन होगा।
हाल ही में गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली थी, इसके बाद से ही उनके राजनीति में जाने के कयास लगाए जा रहे थे। गुप्तेश्वर पांडेय 2019 में बिहार के डीजीपी बने थे। सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर भी काफी चर्चा में रहे थे। इससे पहले, पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के शनिवार को जेडीयू के प्रदेश मुख्यालय जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इसके बाद उनके जेडीयू में शामिल होकर 'तीर' चलाने और प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गईं थीं। बता दें कि जेडीयू का चुनाव चिन्ह तीर है।
पटना स्थित जेडीयू मुख्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश से मुलाकात करने के बाद गुप्तेश्वर ने कहा था, 'मेरी कोई राजनीतिक बात नहीं हुई है। उनको धन्यवाद देने आया था कि उन्होंने मुझे पूरी स्वतंत्रता काम (पुलिस महानिदेशक के पद रहने के दौरान दायित्वों के निर्वहन में) करने की दी। सेवानिवृत्ति के बाद मैं सिर्फ उनके समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहता था।'
गुप्तेश्वर के अपने पैतृक जिले बक्सर से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। मीडिया के एक वर्ग की रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि गुप्तेश्वर वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में अपना भाग्य आजमा सकते हैं। निवर्तमान जेडीयू सांसद बैद्यनाथ महतो के निधन से यह सीट खाली हुई थी।
गुप्तेश्वर ने फरवरी 2021 में अपनी सेवानिवृत्ति से पांच महीने पहले मंगलवार को पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी। 22 सितंबर की देर शाम राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार वीआरएस के उनके अनुरोध को राज्यपाल फागू चौहान ने मंजूरी दे दी थी।
सोशल मीडिया पर 'मेरी कहनी मेरी जुबानी' के शीर्षक के तहत लोगों के साथ बातचीत करते हुए गुप्तेश्वर ने 23 सितंबर को कहा, 'अगर मौका मिला और इस योग्य समझा गया कि मुझे राजनीति में आना चाहिए तो मैं आ सकता हूं लेकिन हमारे वे लोग निर्णय करेंगे जो हमारी मिट्टी के हैं, बिहार की जनता है और उसमें पहला हक तो बक्सर के लोगों का है जहां मैं पला-बढ़ा हूं।'
गुप्तेश्वर ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 2009 में सेवा से इस्तीफा दे दिया था पर राज्य सरकार ने उनके इस्तीफे को नामंजूर करते हुए कुछ महीने बाद उन्हें सेवा में वापस ले लिया था।