पटना: बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने शुक्रवार को दावा किया कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उनके पति लालू प्रसाद से भेंट करके यह प्रस्ताव रखा था कि राजद और नीतीश कुमार के जद(यू) का विलय हो जाए और इस प्रकार बनने वाले नए दल को चुनावों से पहले अपना ‘प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार’ घोषित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किशोर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात करने से इनकार करते हैं तो वह ‘‘सफेद झूठ’’ बोल रहे है।
राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘मैं इससे बहुत नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उन पर भरोसा नहीं रहा।’’ राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी हैं। साल 2017 में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हो गए थे। राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने हमसे कम से कम पांच बार मुलाकात की। इनमें से अधिकांश तो यहीं (दस सर्कुलर रोड) पर हुईं और एक-दो मुलाकात पांच नंबर (पांच देशरत्न मार्ग-छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के आवास) पर हुईं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किशोर को नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव के साथ भेजा था - ‘दोनों दलों का विलय कर देते हैं और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करते हैं।’ वह दिन के उजाले में आए थे न कि रात में।’’ कुमार के इस दावे, कि राजद सुप्रीमो जेल से ही किशोर से बात करते रहे हैं, पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि हम (परिवार के सदस्य) लोगों को भी उनसे (लालू प्रसाद) फोन पर बात करने का मौका नहीं मिलता है और अनंत सिंह के दावे का क्या जो कहते हैं कि उनके जेल में रहने के दौरान ललन सिंह (मंत्री) नीतीश से टेलीफोन पर बातचीत करवाते थे।
माफिया डॉन से राजनीतिज्ञ बने मोकामा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अनंत सिंह पहले कुमार के निकट थे पर 2015 के चुनाव से पहले उनके रिश्ते खराब हो गए। अनंत सिंह ने यह दावा एक स्थानीय न्यूज पोर्टल को दिए साक्षात्कार में किया था। हाल में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में प्रसाद ने दावा किया था कि जद (यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किशोर ने नीतीश कुमार के दूत के तौर पर उनसे मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था कि मुख्यमंत्री की पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कर लिया जाए।
बीते साल सितम्बर में जद(यू) के पूर्ण सदस्य बने किशोर ने प्रसाद के इस दावे के बाद ट्विटर पर स्वीकार किया था कि उन्होंने जद(यू) की सदस्यता लेने से पूर्व प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी। हालांकि, किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह यह बताएंगे कि किस बात पर चर्चा हुई थी तो उन्हें (प्रसाद को) शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।
1974 के ‘‘जयप्रकाश आंदोलन’’ के नेता प्रसाद और कुमार 1990 दशक के मध्य में अलग होने से पहले लंबे समय तक साथ-साथ रहे थे। मुख्य रणनीतिकार के तौर पर कुमार को ‘‘लालू का चाणक्य’’ माना जाता था और उस समय समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 1989 में लालू बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी नेता बने थे। उन्होंने 1990 में प्रसाद को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।