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पटना: मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर सवर्णों को सरकारी नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर बिहार में सियासत तेज हो गई है। दरअसल, भाजपा को राजद पर हमला करने का मौका उस वक्त मिल गया, जब राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने कहा कि संसद में आरक्षण बिल का विरोध कर उनकी पार्टी से गलती हुई। बता दें कि राजद ने आर्थिक आधार पर आरक्षण विधेयक का विरोध किया था। इस पर अब बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने राजद पर हमला बोला और सवर्ण जातियों से आने वाले राजद के तीन बड़े नेताओं से पूछा है कि अब किस मुंह से वह ऊंची जातियों के यहां वोट मांगने जाएंगे। हालांकि, सुशील मोदी के इस ट्वीट पर शिवानंद तिवारी ने पलटवार किया है।

सुशील मोदी ने अपने ट्विटर पर लिखा- ऊंची जाति के लोगों से द्वेष रखने और भूराबाल साफ करने जैसे अमर्यादित बयान देने वाले लालू प्रसाद के निर्देश पर राजद के सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में आर्थिक आधार पर सवर्णों को रिजर्वेशन देने वाले बिल का विरोध किया। पार्टी के सांसद-प्रवक्ता ने तथ्य, एसएमएस के आधार पर दावा किया है कि रिजर्वेशन का विरोध करने में न कोई गलती हुई, न यह फैसला हड़बड़ी में हुआ है।

 

आगे उन्होंने यह भी लिखा कि अब रघुवंश प्रसाद, जगदानंद और शिवानंद तिवारी जैसे सवर्ण नेता बताएं वे किस मुंह से ऊंची जातियों के पास वोट मांगने जाएंगे?

सुशील मोदी के इस ट्वीट पर जवाब देते हुए राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि हम तो 'पिछड़ा पाए सौ में साठ' का नारा लगाते हुए राजनीति में आए हैं। इसलिए हमारी चिंता नहीं करें सुशील मोदी। हम नौजवानों को बताएंगे कि नरेंद्र मोदी जी ने लोकसभा के पिछले चुनाव में दो करोड़ रोज़गार देने का वादा कर आपका पुरज़ोर समर्थन लिया था। आज उन्हीं की सरकार रोज़गार के एवज़ में नटवरलाली तरीक़े से आपके हाथ में आरक्षण का झुनझुना थमा रही है। हम उनको समझाएंगे कि आरक्षण ग़रीबी या बेरोज़गारी का इलाज नहीं है।

उन्होंने आगे लिखा- हिंदू समाज में सदियों से व्याप्त जाति व्यवस्था की वजह से छुआ-छूत और अगड़ा-पिछड़ा के भेद ने हमारे देश को बहुत कमज़ोर किया है। उस कमज़ोरी को दूर कर देश को सशक्त और मज़बूत बनाने के पवित्र उद्देश्य से संविधान बनाने वाले हमारे पुरखों ने जाति आधारित आरक्षण की व्यवस्था लागू की है। इसीलिए हम उस व्यवस्था का समर्थन करते हैं। सुशील बतायें कि वे इसका समर्थन करते हैं या विरोध?

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