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भोपाल: लोकसभा स्पीकर व भाजपा सांसद सुमित्रा महाजन को डॉक्टरों के सामने सरकारी योजनाओं की तारीफ करना महंगा पड़ गया। दरअसल, महाजन शुक्रवार को इंदौर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में सरकारी योजनाओं का गुणगान कर रही थीं। इस पर डॉक्टर भड़क गए। एक डॉक्टर ने तो गुस्से में महाजन के हाथ से माइक छीन लिया।

आईएमए के कार्यक्रम में पहुंची सुमित्रा महाजन ने सरकार की योजनाओं का बखान करते हुए कहा लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद का चुनाव है। महाजन ने मोदी सरकार की स्वच्छ भारत योजना, उज्ज्वला योजना सहित अन्य योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा सरकार के एक भी मंत्री पर एक पैसे के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। जैसे ही महाजन ने आयुष्मान भारत योजना का नाम लिया डॉक्टर आक्रोशित हो गए। यूरोलॉजिस्ट डॉ. केएल बंडी और डॉ. नरेंद्र पाटीदार ने मेडिक्लेम और आयुष्मान भारत योजना को गलत बताया। महाजन ने कहा कि सामान्य ऑपरेशन के अस्पताल तीन से चार लाख रुपये ले रहे हैं। महाजन ने आगे कहा लोग मेरे पास मदद के लिए आते हैं। कई बार अस्पताल के बिल देखकर मैं चौंक गई।

इस पर डॉ बंडी गुस्सा हो गए और सुमित्रा महाजन के हाथ से माइक छीन लिया। डॉ ने कहा आप मुझे एक बिल बताएं, जिसमें अस्पताल ने एवरेज बिल तीन से चार लाख का दिया हो। मैं डॉक्टरी छोड़ दूंगा। वकील परामर्श के लिए 5 हजार लेते हैं। आप बताएं कौन सा डॉक्टर पांच हजार फीस लेता है। इस पर महाजन ने कहा मैं विरोध नहीं कर रही हूं। यहां सेवा करने वाले भी हैं।

डॉ. बंडी बोले हमारे पेशे को गिराया जा रहा है। मरीज के पास आयुष्मान कार्ड है। बीपीएल कार्ड होता है। यह डॉक्टरों के साथ कौन सा अन्याय है। योजनाओं का पैसा सरकार हमें समय पर नहीं देती। अस्पताल से काम करवा लेती है लेकिन पैसा बरसों नहीं आता। कारण आपको भी पता है कि सरकारी अफसरों को कुछ चाहिए। इसलिए आप ऐसा कानून लाएं कि यदि रिफंड समय पर नहीं होता तो छह प्रतिशत ब्याज से पैसा दिया जाएगा। आज टॉपर्स इस पेशे में नहीं आना चाहते। मेरे खुद के दो ग्रेंड चिल्ड्रन हैं। उन्होंने डॉक्टर बनने से इनकार कर दिया है। इस पेशे का सत्यानाश हुआ है और इसमें सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। सरकार हमें पीछे कर रही है। कम से कम हमारे पेशे को तो इज्जत बख्शो।

वहीं डॉ. पाटीदार बोले कोलकाता में एक हड्डी रोग विशेषज्ञ ने अपना पेशा बदल लिया। मेरा बेटा एमबीबीएस कर चुका है, मैं उसको बिजनेस करवाने की सोच रहा हूं। कोई इस पेशे में नहीं आना चाहता। वर्ष 2015 में हॉर्निया के ऑपरेशन के लिए मेडिक्लेम कंपनियां 30 हजार देती थीं। अब 30 प्रतिशत कम कर दिया है।

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