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धार: भोजशाला में विवादित परिसर में सुबह की शांतिपूर्वक प्रार्थना के बाद मुसलमानों ने भी नमाज अदा की। इंदौर खंड के आयुक्त संजय दूबे ने बताया, ‘25-30 मुसलमान श्रद्धालुओं ने 12 बजे के बाद इस स्थल की छत पर नमाज अदा की।’ इससे पहले एक दक्षिणपंथी संगठन ने भोजशाला में कुछ सुरक्षाकर्मियों को कथित रूप से जूते पहने देखने के बाद उसके बाहर पूजा की। आयुक्त ने कहा कि हालांकि बाद में उनलोगों ने भीतर में भी पूजा की। साथ ही कहा कि किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है। धार जिला कलेक्टर श्रीमान शुक्ला ने बताया वसंत पंचमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा की और किसी भी संभावित अप्रिय वारदात से निपटने के लिए इस जगह पर पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी। भोज उत्सव समिति (बीयूएस) के नेता अशोक जैन ने दावा किया कि प्रशासन सरकारी अधिकारियों से भोजशाला के भीतर पूजा करवा रहा है ताकि यह दिखाया जा सके कि सब सामान्य है। बड़ी संख्या में असल श्रद्धालु बाहर पूजा कर रहे हैं।

शहर में ‘बसंत पंचमी’ से कुछ दिन पहले से तनावपूर्ण स्थिति है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण :एएसआई: द्वारा पिछले महीने जारी आदेश के बावजूद बीयूएस के नेता विजय सिंह राठौर ने मांग की थी कि हिंदुओं को भोजशाला में ‘सूर्योदय से सूर्यास्त’ तक पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। दूसरी ओर, मुसलमानों के शहर काजी ने भी कल कहा था कि समुदाय को भोजशाला में जुम्मे की नमाज अदा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। एएसआई ने आदेश दिया था कि बसंत पंचमी पर हिंदू सूर्योदय से दोपहर 12 बजे और अपराह्न साढे तीन बजे से सूर्यास्त तक पूजा करेंगे जबकि मुसलमान अपराह्न एक से तीन बजे तक नमाज अदा करेंगे। हिंदू भोजशाला को भगवती वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद मानते हैं। आम दिनों में हिंदुओं को मंगलवार को पूजा करने की अनुमति होती है जबकि मुसलमान शुक्रवार के दिन नमाज अदा करते हैं। शेष दिनों में यह स्मारक सभी के लिए खुला होता है। लेकिन बसंत पंचमी और जुम्मे की नमाज के आज के दिन एक साथ पड़ने के कारण विवाद पैदा हो गया है क्योंकि दोनों पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक में पहुंच को लेकर अपनी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। कई लोग इस स्मारक को ‘लघु अयोध्या’ कहते हैं। वर्ष 2003, 2006 और 2013 में भी इसी प्रकार का संकट पैदा हुआ था जब शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी थी।

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