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मुंबई: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने और शिवसेना में टूट होने के बाद जनता से जुड़ने और पार्टी की खोई राजनीतिक साख दोबारा बनाने के लिए पार्टी नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत आदित्य राज्य के विभिन्न इलाकों का दौरा कर रहे हैं। वे खासकर उन विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, जहां के विधायकों ने पार्टी से बगावत की है। ये दौरा वो उस वक्त कर रहे हैं, जब शिवसेना का ठाकरे गुट अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।

पिछले डेढ़ महीनों से आमतौर पर शांत रहने वाले 32 वर्षीय आदित्य ठाकरे, जो मुंबई में वर्ली विधानसभा से विधायक हैं, बहुत अधिक सक्रिय दिख रहे हैं। वह 'निष्ठा यात्रा' और 'शिव संवाद' कार्यक्रम के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं तक भी पहुंच रहे हैं।

बतौर मंत्री उन्हें अक्सर पैंट और शर्ट में देखा जाता था। कभी-कभी एक ही रंग के फॉर्मल जूते और बंडी भी पहनते थे। लेकिन अब, वे माथे पर लाल तिलक लगाए दिख रहे हैं।

ऐसा उस वक्त हुआ है, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण उनके पिता के हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं।

हालांकि, एसोसिएट प्रोफेसर (पॉलिटिक्स) केतन भोसले ने कहा कि पार्टी को बचाने के लिए आदित्य ठाकरे के प्रयास बहुत छोटे और बहुत देर से हैं। उन्होंने कहा, "वह एक जहाज को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें पहले से ही कई छेद हैं। शिवसेना ने जिस आक्रामक मुद्रा को कम किया था, वह अब काम नहीं कर सकती है।"

गौरतलब है कि शिवसेना के 55 विधायकों में से 40 ने जून में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया, जिससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई। पार्टी के 18 लोकसभा सांसदों में से 12 ने खुद को नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के साथ जोड़ लिया है।

 

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