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नई दिल्लीः महाराष्ट्र में शिवसेना के बीच खींचतान नया रूप लेती दिख रही है। चुनाव आयोग ने टीम ठाकरे और एकनाथ शिंद गुट से ‘शिवसेना‘ पर अपना अधिकार साबित करने को लेकर दस्तावेज देने को कहा है। चुनाव आयोग ने इसके लिए दोनों ही गुट को 8 अगस्त तक का समय दिया है। एक बार दस्तावेज जमा होने के बाद ही आयोग इस मामले की सुनवाई करेगा। साथ ही दोनों गुटों से पार्टी के अंदर चले रहे विरोध की वजहों का ब्योरा भी लिखित में देने को कहा गया है। चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों ने अपने साथ शिवसेना के 40 विधायक और 12 सांसदों के होने का दावा किया है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पार्टी पर दावा ठोंक दिया था। एकनाथ शिंदे जिस तरह तेजी से बढ़ रहे हैं उससे लगता है कि जल्द ही वो तीर.कमान पर अपना कब्जा जमा लेंगे। एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा था कि उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर दी गई है और उन्होंने एक नई कार्यकारिणी का गठन किया है।

गौरतलब है कि भाजपा की मदद से एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया था। उद्धव को सत्ता से बेदखल कर खुद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने थे।

एकनाथ शिंदे ने अपने पत्र में लिखा था कि नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में शिवसेना के अधिकांश नेताओं ने हिस्सा लिया है। शिंदे जिस बहुमत का उल्लेख करते हैं। वह उनके नेतृत्व वाला बागी गुट है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को शिवसेना के नेता के रूप में हटाने के लिए यह एकनाथ शिंदे का पहला औपचारिक कदम है। शिंदे ने यह कदम उस दिन उठाया है जब सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी जिसमें ये तय होगा कि शिवसेना का प्रभारी कौन है। सुप्रीम कोर्ट बगावत से जुड़ी याचिकाओं और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा बगावत के दिनों में लिए गए विभिन्न फैसलों पर सुनवाई करेगा।

उद्धव ठाकरे ने यह आरोप लगाया था कि प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर विधायकों और सांसदों को उनके खिलाफ लामबंद किया गया। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे खेमे के अधिकांश विधायकों ने एकनाथ शिंदे का साथ दिया था जिसकी वजह से उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी।

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