मुंबई: विशेष सीबीआई अदालत में डिफॉल्ट बेल के लिए पहुंचे महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को झटका लगा है। कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। देशमुख भ्रष्टाचार मामले में राहत चाहते थे। खास बात है कि कोर्ट ने मामले में दो और आरोपियों की याचिका को खारिज किया है। सीबीआई ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता को अप्रैल 2021 में गिरफ्तार किया था। फिलहाल, वह न्यायिक हिरासत में हैं।
विशेष न्यायाधीश एसएच ग्वलानी ने 73 वर्षीय नेता की याचिका को खारिज कर दिया। उनकी तरफ से पेश हुए वकील अनिकेत निकम ने कहा कि वे आदेश को देखेंगे और इसके बाद चुनौती देने पर विचार करेंगे। कोर्ट की तरफ से संजीव पलांदे (देशमुख के पूर्व निजी सचिव) और कुंदन शिंदे (देशमुख के पूर्व निजी सहयोगी) की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
तीनों की तरफ से कहा गया था कि सीबीआई ने 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है। साथ ही यह भी कहा गया कि एजेंसी की तरफ से दाखिल की गई चार्जशीट अधूरी थी। देशमुख, पलांदे और शिंदे की तरफ से इसी आधार पर जमानत की मांग की थी।
खास बात है कि सीपीसी की धारा 173 के तहत आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल होना जरूरी है। ऐसे नहीं होने पर आरोपी डिफॉल्ट बेल की मांग कर सकता है।
क्या हैं आरोप
मार्च 2021 में तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाए थे कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर के रेस्त्रां और बार से 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह जुटाने के लिए कहा था। बीते साल अप्रैल में एक वकील की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीबीआई को शुरुआती जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने अपनी जांच के आधार पर देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
बाद में सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।