नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच उद्धव खेमे और शिंदे खेमे के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। इस बीच, शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में बागी विधायकों के रवैये पर तीखा तंज कसा गया है। इसके साथ ही भाजपा को भी आड़े हाथों लिया गया है। संपादकीय में लिखा गया है कि आखिरकार, गुवाहाटी प्रकरण में भाजपा की धोती खुल ही गई।
शिवसेना विधायकों की बगावत उनका अंदरूनी मामला है, ऐसा ये लोग दिनदहाड़े कह रहे थे। परंतु, कहा जा रहा है कि वडोदरा में देवेंद्र फडणवीस और एकदास शिंदे की अंधेरे में गुप्त मीटिंग हुई। उस मुलाकात में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल थे। उसके बाद तुरंत ही 15 बागी विधायकों को केंद्र सरकार द्वारा ‘वाई' श्रेणी की विशेष सुरक्षा प्रदान करने का आदेश जारी किया गया। ये 15 विधायक मतलब मानो लोकतंत्र, आजादी के रखवाले हैं। इसलिए उनके बालों को भी नुकसान नहीं पहुंचने देंगे, ऐसा केंद्र को लगता है क्या? असल में ये लोग 50-50 करोड़ रुपयों में बेचे गए बैल अथवा ‘बिग बुल' हैं। यह लोकतंत्र को लगा कलंक ही है। उस कलंक को सुरक्षित रखने के लिए ये क्या उठापटक है?
इन विधायकों को मुंबई-महाराष्ट्र में आने में डर लग रहा है या ये कैदी विधायक मुंबई में उतरते ही फिर से ‘कूदकर' अपने घर भाग जाएंगे, ऐसी चिंता होने के कारण उन्हें सरकारी ‘केंद्रीय' सुरक्षा तंत्र द्वारा बंदी बनाया गया है? यही सवाल है। लेकिन इतना तय है कि महाराष्ट्र के सियासी लोकनाट्य में केंद्र की डफली, तंबूरे वाले कूद पड़े हैं और राज्य के ‘नचनिये' विधायक उनकी ताल पर नाच रहे हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के बीच जारी सत्ता संघर्ष रविवार को और बढ़ गया। पार्टी के सांसद संजय राउत ने बागी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता त्याग कर चुनाव लड़ने की चुनौती दी। इस बीच, पार्टी के कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं।