मुंबई: कोविड-19 वैश्विक महामारी में लॉकडाउन में बढ़े बिजली बिलों पर राहत देने के वादे से महाराष्ट्र सरकार साफ मुकर गई है, जिससे सूबे की राजनीति गरमा गई है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने पहले बिजली उपभोक्ताओं को आश्वस्त किया था कि बिल कम करने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन अब उन्होंने साफ किया है कि राज्य सरकार के लिए बिजली बिलों में राहत देना संभव नहीं है। वहीं, भाजपा ने इसकी आलोचना करते हुए ऊर्जा मंत्री के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की धमकी दी है।
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं को जितना बिजली बिल आया है, मीटर रीडिंग के हिसाब से उतना भुगतान करना ही होगा। राउत ने कहा कि बिजली उपभोक्ताओं की तरह ही सरकारी बिजली कंपनी महावितरण भी एक ग्राहक है। उसे भी किसी दूसरे से बिजली खरीद कर आपूर्ति करनी पड़ती है। हमने किस्तों में बिजली बिल भरने और बिजली बिल जमा करने पर दो फीसदी की छूट जैसी सहूलियत देने की कोशिश की। लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिल सकी।
राउत ने कहा कि महावितरण 69 हजार करोड़ के घाटे में है। अब हम और कर्ज नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि 69 फीसदी बिजली बिल की वसूली हो चुकी है। इसलिए अब यह विषय समाप्त हो चुका है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं को बढ़े बिजली बिल मिले थे। इसके खिलाफ विपक्ष सहित सरकार का साथ देने वाले दलों ने भी आंदोलन किया था। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर राहत देने की मांग की थी और ऊर्जा मंत्री ने भी सहूलियत देने की बात कही थी।
ऊर्जा विभाग की तरफ से मंत्रिमंडल की बैठक में एक हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी रखा गया था। लेकिन वित्त विभाग के अड़ंगे के कारण प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी।
ऊर्जा मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राम कदम ने कहा कि यह लोगों को धोखा देने वाली सरकार है। वहीं, विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रविण दरेकर ने कहा कि यह बेशर्म सरकार है, जो लोगों से वादा कर उसे पूरा नहीं करती। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने कहा कि गलत बिजली बिल भेजने के बाद बिजली बिल में सहूलियत देने का वादा कर अब वादे से मुकरने वाले ऊर्जा मंत्री राउत के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाऊंगा।