मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस-एनसीपी छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए करीब दर्जन भर विधायक अब वापस पुरानी पार्टियों में वापसी को तैयार हैं। ये नेता महाविकास आघाड़ी के नेताओं के संपर्क में हैं। सूत्रों के अनुसार ये लोग भाजपा से इस्तीफा देकर फिर कांग्रेस-एनसीपी व शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इन्हें सिर्फ इन दलों से हरी झंडी की दरकार है। हालांकि कांग्रेस-एनसीपी ने फिलहाल कोई संकेत नहीं दिया है। लेकिन माना जा रहा है कि नागपुर विधानसभा सत्र के बाद ये विधायक बड़ा कदम उठा सकते हैं।
हालांकि भाजपा नेता आशीष शेलार के अनुसार इन बातों में दम नहीं है और ये अफवाहें सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए हैं। सूत्र बताते हैं कि चुनाव पूर्व भाजपा में गए विधायक नाराज हैं कि महीने भर तक सत्ता संघर्ष में भाजपा द्वारा शिवसेना की शर्तें न मानने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ गया। ये नेता आश्वस्त थे कि भाजपा सत्ता में आएगी और इसीलिए इन्होंने कांग्रेस-एनसीपी का साथ छोड़ा था। इनमें राधाकृष्ण विखे पाटिल, विजय सिंह मोहिते पाटिल, शिवेंद्रराजे भोंसले, गणेश नाइक, हर्षवर्द्धन पाटिल, मधुकर पिचड़, चित्रा वाघ जैसे चर्चित नेता शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार भाजपा छोड़ने के इच्छुक इन दर्जन भर नेताओं में से पांच पश्चिमी महाराष्ट्र से, तीन मराठवाड़ा से और चार अन्य क्षेत्रों से हैं।
ओबीसी नेता भी सिरदर्द
भाजपा के लिए पार्टी के ओबीसी नेताओं की नाराजगी भी सिरदर्द बन रही है। सूत्रों के अनुसार एकनाथ खड़से के घर बृहस्पतिवार को ओबीसी नेताओं की बैठक भी हुई। खड़से खुलकर पार्टी के विरुद्ध बोल चुके हैं और पंकजा मुंडे ने ट्विटर से भाजपा से अपना जुड़ाव हटा दिया है। दोनों नेताओं के शिवसेना के संपर्क में होने की चर्चा हैं।
खड़से कह चुके हैं कि भाजपा में ओबीसी नेताओं को उचित स्थान नहीं दिया जा रहा और उनकी बेटी रोहिणी तथा पंकजा मुंडे की विधानसभा चुनाव में हार के पीछे पार्टी के नेताओं की कोशिश रही है। अन्य नाराज नेताओं में चंद्रकांत बावनकुले और विनोद तावड़े का नाम शामिल हैं, परंतु अभी इन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर नहीं दिखाई है। हालांकि बावनकुले ने बृहस्पतिवार को कहा कि ओबीसी नेताओं से भाजपा में कोई अन्याय नहीं हुआ है और समय-समय पर उन्हें अनुकूल पद मिले हैं।