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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

मुंबई/इंदौर: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है। उन्होंने सौदे में किसी भी तरह की सांठगांठ से इनकार करते हुए यहां कहा कि खरीद शुरू होने पर ही ऑफसेट साझेदारों के बारे में पता चलेगा। सीतारमण ने एक कार्यक्रम में कहा कि दसॉल्ट और दो या तीन कंपनियां राफेल की आपूर्ति में शामिल हो रही हैं। इसलिए उन सभी को ऑफसेट की प्रतिबद्धता को पूरा करना होगा।

सीतारमण ने कहा कि आपूर्ति में शामिल प्रत्येक कंपनी के भारत में ऑफसेट साझेदार होंगे। उन्होंने कहा कि ऑफसेट साझेदारों का विवरण तब मिलेगा जब वे इस ब्योरे के बिल के साथ मुझसे संपर्क करेंगे कि किस तरह की सेवा मिल रही है, चाहे वह उपकरण के रूप में हो या निवेश के रूप में। सीतारमण ने कहा कि राफेल विमानों की आपूर्ति शुरू नहीं हुई है।

 

सशस्त्र बल कमजोर नहीं हुए हैं

रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के सुरक्षा प्रतिष्ठान के आकार में हालिया बदलावों से उनके मंत्रालय के प्राधिकार और सशस्त्र बल कमजोर नहीं हुए हैं। सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सुरक्षा संबंधी विषयों के लिए अंतर मंत्रालयी समन्वय में एक अहम भूमिका निभाते हैं। रक्षा मंत्री ने सुरक्षा प्रतिष्ठान के आकार में बदलावों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह कहा। दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की सहायता करने के लिए राजग सरकार द्वारा रणनीतिक नीति समूह का हाल ही में पुनर्गठन किए जाने के बाद कुछ हलकों ने उसकी आलोचना की थी। सीतारमण ने कहा कि आज भारत की सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ थल सेना, नौसेना और वायुसेना के जरिए नहीं है। साइबर क्षेत्र सहित यह विभिन्न तरह के खतरों का सामना कर रही है। सीतारमण ने कहा कि आपको अंतर-मंत्रालयी समन्वय की जरूरत है, जहां एनएसए एक भूमिका निभाता है।

शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव की बात

सीतारमण ने नकारी भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कथित भेदभाव के दुष्प्रचार को सिरे से नकारते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में शिक्षा के द्वार हर वर्ग के बच्चों के लिए खुले हैं। रक्षा मंत्री ने इंदौर में गैर सरकारी संगठन के कार्यक्रम में कहा कि सबको शिक्षा देना हमारे डीएनए में है। हमारे देश में शिक्षा प्रदान करने के मामले में किसी वर्ग के बच्चे के साथ कभी भेदभाव नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि जिसकी मां किसी वजह से उसके पिता का नाम बताना नहीं चाहती। अपने बच्चे को अकेले पालने-पोसने वाली महिला भी अपनी संतान को पूरे आत्मसम्मान के साथ शिक्षा दिला सकती है।

उन्होंने कहा, मैं इस वक्त एक मकसद से आपके सामने यह बात रख रही हूं, जब यह गलतबयानी की जा रही है कि देश में हर बात महिलाओं के खिलाफ है। सीतारमण ने यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं के जारी मी टू अभियान की ओर अप्रत्यक्ष इशारा करते हुए कहा कि उन्हें इस रुझान से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है कि मौजूदा समय में महिलाएं अपनी समस्याओं को लेकर खुलकर बात कर रही हैं।

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