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मुंबई: एनआईए की एक विशेष अदालत ने यहां शनिवार को लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत उनके विरूद्ध सुनवाई के लिए अभियोजन मंजूरी की वैधता को चुनौती दी थी। पुरोहित 2008 मालेगांव विस्फोट मामले के अभियुक्त हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत के न्यायाधीश विनोद पडलकर ने मामले में पुरोहित और अन्य आरोपियों की दलीलें सुनने के बाद उनकी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर तय की है।

बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले महीने पुरोहित की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने मामले में अपने और अन्य आरोपी के खिलाफ निचली अदालत में आरोप तय करने से रोकने की मांग की थी। एनआईए की अदालत को पुरोहित और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने थे लेकिन अभियोजन मंजूरी की वैधता को लेकर अभियुक्त की आपत्तियों के बाद इसे टाल दिया गया था।

पूर्व में पुरोहित के अभियोजन पक्ष के लिए स्वीकृति की आवश्यकता थी क्योंकि वह उस समय एक सेवारत सेना अधिकारी थे। महाराष्ट्र गृह मंत्रालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 17 जनवरी 2009 को स्वीकृति प्रदान की थी।

महाराष्ट्र के नासिक जिले में मालेगांव के एक मस्जिद के नजदीक 29 सितंबर 2008 को एक मोटरसाइकिल में बंधे एक विस्फोटक उपकरण में विस्फोट के कारण छह लोग मारे गये थे और करीब 100 लोग घायल हो गये थे। एनआईए की विशेष अदालत ने 27 दिसंबर 2017 को मामले में आरोपों से बरी करने की मांग वाली पुरोहित, सह-आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और छह अन्य लोगों की याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हालांकि, अदालत ने कठोर प्रावधान वाले महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत सभी आरोपों को हटाते हुये उन्हें आंशिक राहत दिया था।

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