पुणे: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को शिरडी पहुंचें और उन्होंने शिरडी साईंबाबा की समाधि के सौ साल होने पर पूरे साल चले महोत्सव के समापन समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिरडी महापुरुषों की भूमि है, साईंबाबा ने समाज के लिए काम किया। पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी का ये प्रयास रहता है कि हर पर्व को अपनों के साथ मनाएं। मेरी भी ये कोशिश रहती है कि हर त्योहार देशवासियों के साथ मनाऊं और इसी भावना के साथ आज आप सभी के बीच उपस्थित हुआ हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि शिरडी के कण-कण में साई के मंत्र, उनकी सीख है। जनसेवा, त्याग और तपस्या की जब बात आती है, तो शिरडी का उदाहरण दिया जाता है। शिरडी तात्या पाटील की नगरी है। दादा कोते पाटील ,माधवराव देशपांडे, म्हाळसापती जैसे महापुरुष इसी धरती ने दिए हैं। काशीराम शिंपी, आप्पा जागले और साईबाबा की अंतिम समय तक सेवा करते रहे, कोंडाजी, गबाजी और तुकाराम को कौन भुला सकता है? इस पावन धरा के इन महान सपूतों को मैं नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साई का मंत्र है-सबका मालिक एक है। साईँ के ये चार शब्द समाज को एक करने का सूत्रवाक्य बन गये। सांई समाज के थे और समाज साई का था। साई ने समाज की सेवा के कुछ रास्ते बताए थे। मुझे प्रसन्नता है साई बाबा के दिखाए रास्ते पर श्री साई बाबा संस्थान ट्रस्ट, निरंतर समाज की सेवा कर रहा है। आज यहां 10 मेगावाट की एक सोलर यूनिट की भी शुरुआत की गई है। इससे संस्थान के संसाधन बढेंगे और क्लीन एनर्जी में भागीदारी भी। ये एक ऐसा मॉडल हैश् जिससे देश भर में कई संस्थान लागू कर सकते हैं। यानी सेवा के साथ ही राष्ट्र सेवा भी की जा सकती है।
इस मौके पर पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को घरों की चाबियां भी सौंपी और कहा कि मुझे खुशी है कि दशहरे के इस पावन अवसर पर मुझे महाराष्ट्र के ढाई लाख बहनों-भाइयों को अपना घर सौंपने का अवसर मिला है। मेरे वो भाई बहन जिनके लिए अपना घर, हमेशा सपना ही रहा है। अपने इस विशाल परिवार के सदस्यों को एक साथ गृह प्रवेश कराने से बड़ी, अपने गरीब भाई-बहनों की सेवा से बड़ी, दशहरे की पूजा भला मेरे लिए क्या हो सकती थी।
उन्होंने कहा कि अपना घर जीवन को आसान बना देता है और गरीबी से लड़ने का नया उत्साह पैदा करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2022 तक देश के हर बेघर-गरीब परिवार को अपना घर देने का लक्ष्य रखा है। मुझे खुशी है कि करीब-करीब आधा रास्ता हम तय कर चुके हैं। गरीब हो या मध्यम वर्ग का परिवार, बीते चार वर्षों से उसे झुग्गी से, किराए के मकान से निकालकर, अपना घर देने की तरफ सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं।