मुंबई: आरक्षण समर्थक मराठा संगठनों की ओर से महाराष्ट्र में आयोजित एक दिन के बंद के दौरान आज हिंसा और आगजनी हुई। इस बीच, कल जहरीली चीज खा लेने के बाद आज एक और प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। हिंसा को देखते हुए मुंबई में बंद बीच में ही वापस ले लिया गया लेकिन इसके बावजूद कुछ इलाकों में देर शाम तक पथराव जैसी घटनाएं होती रहीं। प्रदर्शनकारियों ने मराठा संगठनों की ओर से आयोजित बंद के दौरान मुंबई और इससे सटे ठाणे जिले सहित महाराष्ट्र के कई हिस्सों में बसों पर हमला किया, आगजनी की और लोकल ट्रेनों पर पत्थर फेंके।
मराठा संगठनों ने नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की अपनी मांग को लेकर बंद आयोजित किया था। पथराव में एक पुलिस अधीक्षक सहित तीन पुलिसकर्मी जख्मी हुए। प्रदर्शनकारियों ने कई घंटे तक मुंबई-पुणे और मुंबई-गोवा राजमार्ग को जाम रखा। पुलिस ने कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। महाराष्ट्र में विभिन्न स्थानों पर सोमवार से ही हो रहा प्रदर्शन आज मुंबई पहुंच गया जहां शहर को पूरी तरह बंद कराने की कोशिश की गई।
महाराष्ट्र में करीब 30 प्रतिशत की आबादी वाला मराठा समुदाय राजनीतिक तौर पर प्रभावशाली समुदाय है और वह नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहा है। इससे पहले, समुदाय के सदस्यों ने अपनी मांगों के समर्थन में विभिन्न जिलों में कई रैलियां की थी।
पिछले साल मुंबई में मराठा क्रांति मोर्चा ने इस सिलसिले में एक विशाल रैली आयोजित की थी। बीते रविवार को काकासाहेब शिंदे नाम का एक 27 वर्षीय प्रदर्शनकारी औरंगाबाद की गोदावरी नदी में एक पुल से कूद गया था और उसकी मौत हो गई थी। शिंदे की मौत के बाद प्रदर्शन और तेज हो गए थे। कल जगन्नाथ सोनावने नाम के एक शख्स ने औरंगाबाद में प्रदर्शन के दौरान कोई जहरीली चीज खा ली थी। आज एक स्थानीय सरकारी अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
बहरहाल, आज सुबह शुरू हुआ बंद कुछ जगहों पर हिंसा होने के कारण दोपहर तीन बजे से थोड़ा पहले ही वापस ले लिया गया। मराठा क्रांति मोर्चा के नेता वीरेंद्र पवार ने यहां पत्रकारों को बताया, ‘‘हम सिर्फ यह साबित करना चाहते थे कि हम एकजुट हैं और हमने इसे साबित भी किया। हम नहीं चाहते थे कि प्रदर्शन हिंसक हो जाए। इसलिए हम आज मुंबई में अपना बंद खत्म कर रहे हैं।’’ पवार ने कहा, ‘‘हमें संदेह है कि कुछ लोगों ने राजनीतिक मंशा से हिंसक गतिविधियां की। वरना, इसे पहले की तरह ही शांतिपूर्ण होना था। लेकिन मुंबई के बाहर से हिंसा की खबरें आने के बाद हमने इसे खत्म करने का फैसला किया।’’
मोर्चा के एक अन्य नेता ने कहा कि नौ अगस्त को फिर से बंद आयोजित किया जा सकता है, लेकिन इस बाबत अंतिम फैसला सभी मराठा मोर्चों के सभी वरिष्ठ सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद ही किया जाएगा। मोर्चा ने बंद का आह्वान किया था। मोर्चा ने मांग की थी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अपनी इस कथित टिप्पणी के लिए माफी मांगें कि समुदाय के कुछ सदस्य शोलापुर जिले के पंढरपुर कस्बे में हिंसा की योजना बना रहे हैं। सोमवार को फडणवीस को ‘आषाढ़ी एकादशी’ के अवसर पर एक मंदिर में पूजा करनी थी, लेकिन जब मराठा संगठनों ने उनके कार्यक्रम को बाधित करने की धमकी दी तो उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। पवार ने कहा, ‘‘हमें सरकार को जो कुछ भी बताना था, वह हमने कर दिया है। लेकिन हम पिछले दो साल में सरकार के रुख से निराश हैं।’’ प्रदर्शन के नेता ने कहा कि सरकार का एक भी प्रतिनिधि प्रदर्शनकारियों से बात करने नहीं आया।
मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए पवार ने कहा कि फडणवीस ‘‘एसी कमरे में बैठे हुए हैं’’ और उन्हें ‘‘हमारी मांगें पूरी करने की कोई चिंता नहीं की।’’ बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कुछ लोकल ट्रेनों और बसों पर पत्थर फेंके और बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) की एक बस को आग के हवाले कर दिया।
बेस्ट के प्रवक्ता हनुमंत गोफाने ने कहा, ‘‘दोपहर एक बजे तक पत्थरबाजी में तीन बसें क्षतिग्रस्त हुईं और टायरों से हवा निकालकर नौ बसों को क्षतिग्रस्त किया गया।’’ दोपहर करीब डेढ़ बजे प्रदर्शनकारियों ने एक बस को आग के हवाले कर दिया। बाद में फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनों के कारण लोकल नेटवर्क के एक खंड पर ट्रेन की आवाजाही प्रभावित हुई। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक संदीप पाटिल सतारा में पत्थरबाजी की चपेट में आने से मामूली तौर पर घायल हो गए । नवी मुंबई के कलंबोली में भी दो अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए।