मुंबई: शिवसेना ने मंगलवार को नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार पर जमकर निशाना साधा। शिवसेना ने कहा कि नोटबंदी के बाद सरकारी कर्मचारियों की जमा राशियों की जांच का कदम मात्र 'दिखावा' है। शिवसेना ने सरकार से कहा कि 'लोगों पर क्लोरोफॉर्म' का इस्तेमाल करके उनका ध्यान बंटाने की बजाय वह 'मूलभूत सवालों' पर ध्यान केंद्रित करे।
सीवीसी ने हाल में कहा था कि नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हुए नोटों की शक्ल में जमा की गई राशि की जांच भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी द्वारा की जाएगी। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित एक संपादकीय में लिखा गया है, 'भले ही कोई इससे सहमत हो कि सरकार को नजर रखने या जांच करने का अधिकार है, ऐसी जांच का परिणाम क्या होगा? कदम का उद्देश्य केवल सरकारी कर्मचारियों पर तलवार लटकी हुई छोड़ना है।'
इसमें सवाल किया गया है, 'सरकार नोटबंदी की असफलताओं को छुपाने के लिए और क्या कदम उठाएगी?' इसमें कहा गया, 'आरबीआई के अनुसार चलन से बाहर हुई मुद्रा में से 99 प्रतिशत सिस्टम में वापस आ गई। बाजार में 15.44 लाख करोड़ रुपये में से आरबीआई को 15.28 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
इससे संकेत मिलता है कि नोटबंदी असफल रही। इसमें लिखा है, लोगों का ध्यान बंटाने के लिए सरकार ने नकदरहित लेनदेन में बढ़ोतरी और डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर से जाने की बात की। सच्चाई यह है कि तब लोगों को नकद रहित होने के लिए बाध्य किया गया, क्योंकि चलन में कोई मुद्रा नहीं थी।' लेख में लिखा गया है, 'जब नोट एक बार फिर चलन में आ गए तो नकद रहित और ऑनलाइन लेनदेन कम हुआ और लोगों ने एक बार फिर नकदी का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
आरबीआई के अनुसार नकद रहित और ऑनलाइन लेनदेन 17 प्रतिशत से कम है। शिवसेना ने हाल में जनधन खातों में जमा राशि की जांच करने की बात की और कहा कि आयकर विभाग बैंक लेनदेन पर नजर रखेगा। उसने कहा, 'धमकी सरकारी कर्मचारियों की जमा राशियों की जांच करने की है। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि सरकार की विफलताओं से ध्यान बंटाया जा सके।