मुंबई: ध्वनि प्रदूषण मुद्दे और शांत क्षेत्र तय करने पर सुनवाई कर रहे बॉम्बे हाई कोर्ट के जज अभय ओक ने आज राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 155 साल पुराने बॉम्बे हाई कोर्ट की गरिमा को मलिन करने का प्रयास किया है। लगता है कि राज्य सरकार बॉम्बे हाई कोर्ट के गौरव को बने नही रहने देना चाहती। हाई कोर्ट जज अभय ओक ने कहा कि मामले में मौखिक माफी पर्याप्त नही है सरकार लिखित में माफीनामा दे और किसकी सूचना पर मुझपर आरोप लगाया गया वो भी बताए। जज अभय ओक ने राज्य के महा अधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी को भी हिदायत दी कि वो हाई कोर्ट को सिखाने की कोशिश ना करें। गौरतलब है कि गुरुवार 24 अगस्त को राज्य सरकार ने ध्वनि प्रदूषण और शांत क्षेत्र पर आवाज फॉउन्डेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही बेंच खासकर जज अभय ओक पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश से बेंच बदलने की मांग की थी। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने बेंच बदल भी दी थी। तब भी जज ओक ने दुख जताते हुये कहा था कि बॉम्बे हाई कोर्ट में उनके 14 साल के कार्यकाल में आज तक कभी इस तरह का आरोप नहीं लगा।
हैरानी की बात है कि मुख्य न्यायाधीश ने भी आननफानन में बेंच बदलने का आदेश दे दिया था। लेकिन उसके बाद सरकार की बड़ी निंदा हुई। इस मुद्दे पर वकीलों, पूर्व जज, क़ानून विशेषज्ञों ने भी सरकार पर न्यायपालिका की आजादी पर हमले का आरोप लगाते हुए बेंच बदलने के फैसले की आलोचना की। एडवोकेट असोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया ने भी मुख्य न्यायधीश तक सबकी राय पहुंचाई। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश मंन्जुला चेल्लुर ने अपने फैसले को पलटते हुए ध्वनि प्रदूषण से जुड़े पुराने सभी मामले वापस जज अभय ओक और रियाज़ छागला की पीठ को देने के साथ शांत क्षेत्र तय करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई भी जज अभय ओक, जज रियाज़ छागला और जज ए वी मोहता की पीठ के पास देदी। सोमवार को राज्य सरकार ने भी यू टर्न लेते हुए जज अभय ओक के खिलाफ लगाए गए अपने आरोप को वापस लिया। जिस पर जज ओक ने व्यंग करते हुए कहा कि अदालत का कामकाज क्या बच्चों का खेल है जब चाहे आरोप लगा दें और जब चाहे वापस लेलें ? ओक ने मामले में मुख्य न्यायाधीश को गलत जानकारी देने पर भी सवाल किया। शांत क्षेत्र से जुड़ी जनहित याचिकाकर्ता आवाज फाउंडेशन की सुमैरा अब्दुला अली ने फिर से उनका मामला जज अभय ओक की पीठ के पास आने पर खुशी जाहिर की है। सुमैरा ने ये भी आरोप लगाया कि शांत क्षेत्र को लेकर सरकार के ढुलमुल रवैये की वजह से डेढ़ दिन की गणपति विसर्जन के दिन शहर में ध्वनि प्रदूषण अपनी सीमा पार कर चुका था। आवाज फॉउंडेशन की याचिका पर मंगलवार दोपहर सुनवाई जारी रहेगी। गौरतलब है कि पूरा विवाद शान्त क्षेत्र तय करने को लेकर ही हुआ है। मुंबई में कुल 1537 साइलेंस जोन है लेकिन पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से कानून में संसोधन के मूताबिक जब तक सरकार नहीं घोषित करती तब तक कोई भी साइलेंस जोन नही माना जायेगा। लेकिन अदालत ने उसे नही माना अदालत का तर्क था कि जब तक सरकार ने नये नियम के तहत नये साइलेन्स जोन की घोषणा नही करती तब तक पुराने साइलेंस जोन बने रंहेगे। गुरुवार को जज अभय ओक फैसला सुनाने वाले थे लेकिन उसके पहले ही राज्य सरकार ने जज अभय ओक पर मामले में पक्षपात करने का आरोप लगा कर नया मोड़ दे दिया था।