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सावन का पहला सोमवार आज है। शिव भक्त रात से ही मंदिरों में लाइन लगाना शुरू कर चुके हैं। सुबह होते ही श्रद्धालु शिवालयों में जलाभिषेक करने के लिए जुटने लगे। यूपी के इलाहाबाद, गोंडा और काशी के मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ देखने को बनती है। मंदिरों के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सबके हाथों में बेल-फूल, दूध-दही और पूजा की सामग्रियों से सजी थाली है। इस साल सावन खास है क्योंकि पांच सोमवार होंगे। आज के दिन बहुत भक्त व्रत करते हैं। हर हर महादेव के जयकारों के साथ भगवान भोलेनाथ जलाभिषेक किया जा रहा है। शिव मंदिरों के बाहर बजते बधाव के बीच पूरा वातावरण भक्ति मय हो गया है। नगर के दुखहरण नाथ मंदिर के बाहर बहुत भीड़ है। इलाहाबाद के मनकामेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालु का तांता लगा है। कहते हैं आज के दिन व्रत करने से शिव खुश होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शिवाय की स्तुति के साथ श्रध्दालुओं ने जलाभिषेक शुरू कर दिया है। भारी बारिश के बाद भी सभी शिव मंदिरों में भक्तों का रेला उमड़ रहा है। इस बार सावन में पांच सोमवार का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।

आज पहले सोमवार के दिन वर्षा के बाद भी नगर के दुखहरण नाथ मंदिर और खरगूपुर के पौराणिक पृथ्वीनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए भोर से ही शिव भक्त उमड़ पड़े हैं। शिवालयों के बाहर बजते बधाव के बीच आस्था और विश्वास से लबरेज श्रद्धालु भोलेनाथ के जलाभिषेक को आतुर हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन मास देवों के देव महादेव का है। मान्यता है कि भगवान शिव इस पूरे मास धरती पर निवास करते हैं। मान्यता है कि राक्षसों के सागर मंथन में नाना प्रकार के रत्न, औषधि रसायन आदि निकलने के साथ एक घड़ा भी निकला। जिसको लेकर हाहाकार मच गया और भगवान ब्रम्हा जी के कहने पर देवता भगवान शिव के पास गये और विष से संसार की रक्षा की विनती की। महादेव ने विष पी लिया इसीलिये शिव का नाम नीलकंठ भी पड़ा। सावन मास के पहले सोमवार को स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण कर भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प, बेल पत्र, फल, समी तुलसी की मंजरीयुक्त पत्ती के साथ जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करनी चाहिए। सावन के प्रथम सोमवार पर बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार में जल चढ़ाने, शीशनवाने को हजारों कांवरियें और शिव भक्तों का तांता लगा है। कांवरिया रविवार की शाम से ही शहर में डेरा डाल लिए हैं। इस बार महिला कांवरियों के साथ ही लड़कियां भी कांवर उठाएं दिखीं। आज सावन का पहला सोमवार है इसलिए भगवान के मंदिर में सुबह साढ़े चार बजे ही शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की लंबी लंबी कताीरें देखने को मिल रही हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश छत्ताद्वार होना है। बाबा के दर्शन को लगायी गयी बैरेकेडिंग देरशाम होते ही भक्तों की कतार से हाउसफुल हो गया। एक ओर गोदौलिया और दूसरी ओर नीचीबाग तक दर्शनार्थी डटे रहे। मंदिर परिसर बिल्व पत्र और फूलों की खूश्बू से आच्छादित रहा तो बाबा की भष्मी का सौंदर्य काशी में हर ओर दिखा। हर-हर महादेव से गंगा तट व काशी का कोना-कोना गुलजार है। रविवार को ही करीब 40 हजार कांवरियों ने बाबा का दर्शन किये। गंगा तट हो या शहर का कोई भी मार्ग हर ओर बस बोल-बम, बोल-बम का नारा बुलंद रहा। कांधे पर कांवर उठाये हजारों कांवरिये काशी में विचरण करते दिखे। नजर जिधर भी जाएं आंखे केशरीयामय हो जाती। कॉवरियों की उपस्थित से भोले की नगरी केशरिया रंग में ढ़ली दिखी। बाबा का दर्शन-पूजन करने के बाद नगर के विभिन्न शिवालयों में भी कांवरिये जल चढ़ाते दिखे। ज्यादातर कॉवरियों का जत्था पैदल ही काशी पहुंचा है। इनके साथ डीजे तो था लेकिन कानून के चलते मौन रहा। बोल-बम के जयघोष के साथ नाचते कॉवरियों का दल आकर्षण का केन्द्र बना रहा। ट्रक, टै्रक्टर, जीप, साइकिल, बाइक आदि पर सवार हो कांवरियों का जत्था देररात तक काशी पहुंच रहा है। काशी से जुड़ने वाले सभी मार्ग पर कॉवरियों की आवाजाही से गुलजार रहे। रविवार को कैथी स्थित मार्कण्डेय महादेव, सारनाथ स्थित सारंग देव, रोहनिया स्थित शूलटंकेश्वर महादेव, मृत्युंजय महादेव, गौरी केदारेश्वर महादेव, तिलभाण्डेश्वर महादेव, बीएचयू स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर आदि शिवालयों में जलअर्पित करते दिखे।

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