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(आशु सक्सेना) गुजरात विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज पर पहला जनादेश होगा। गुजरात के आम चुनाव में अगर भाजपा की एक सीट भी कम हुई, तो माना जाएगा कि सूबे के लोग अपने पीएम के कामकाज से खुश नही है। दरअसल पांच साल पहले गुजरात विधानसभा चुनाव के चुनाव प्रचार के दौरान अचानक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भावी प्रधानमंत्री होने की खबर सुर्खियों में आयी थी। उस वक्त लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने चुनाव प्रचार के दौरान पत्रकारों से बातचीत में मोदी के भावी प्रधानमंत्री होने की खबर को यह कह कर पुख्ता किया था कि मोदी जी के पास प्रशासनिक अनुभव है। वह एक बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद देश भर में विजय अभियान चलाकर उत्तर प्रदेश समेत कई महत्वपूर्ण सूबों पर कब्जा करने वाले पीएम मोदी अब अपने कामकाज पर अपने गृह सूबे के आम चुनाव में पहली बार जनादेश मांग रहे हैं। चालू साल में पीएम मोदी गुजरात के पांच दौरे कर चुके है। अगला दौरा पीएम मोदी के जन्मदिन 17 सितंबार के आसपास प्रस्तावित है। इस साल पीएम मोदी अपना जन्मदिन अपने गृह प्रदेश गुजरात में ही मनाएंगे। इस यात्रा के दौरान मोदी नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ने के बाद बने नये गेटों का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी बडोदरा जिले के भदोई में जनसभा करके विधिवत चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत भी करेंगे।

इस साल दिसंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव होने हैं। संभवतः चुनाव कार्यक्रम की घोषणा सितंबर माह के मध्य तक होगी। पीएम मोदी ने अपने गृह सूबे में इस साल का छठा दौरा चुनाव के मद्देनजर रखा है। यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा का सवाल है। उत्तर प्रदेश में दो तिहाई बहुमत लाने वाले मोदी को अपने गृह प्रदेश में इस बार पिछले चुनाव से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करने का दबाव बन गया है। पिछले चुनाव का भावी प्रधानमंत्री अब प्रधानमंत्री के तौर पर अपने तीन साल के कामकाज पर जनादेश मांगेगा। लिहाजा सीटों में हिजाफा ही मोदी के पक्ष में जनादेश माना जाएगा। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा के तीन चुनाव लडे़ और इन तीनों ही चुनाव में उनकी जीत का फासला कम हुआ है। 2002 के चुनाव में भाजपा को 127 सीटों पर जीत मिली थी। यह चुनाव गोधरा कांड़ के बाद हुआ था। 2007 के चुनाव में भाजपा को झटका लगा और उसे दस सीट का नुकसान हुआ और भाजपा 117 सीट पर सिमट गई। यह चुनाव मुख्यमंत्री मोदी ने विकास के गुजरात माॅडल पर लड़ा था। तीसरा 2012 का विधानसभा चुनाव मोदी ने विकास पर नही बल्कि देश का भावी प्रधानमंत्री होने का ख्याब दिखा कर लड़ा था। इस चुनाव में भी मोदी अपनी पिछली जीत को बरकरार नही रख सके थे। इस चुनाव में वह दो सीट घटकर 115 रह गये थे। बहरहाल गुजरात में लगातार घट रही भाजपा ने 2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी को देश का भावी प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बता कर लड़ा। मोदी ने भी करीब डेढ़ साल देश व्यापी चुनाव प्रचार अभियान चलाया। गुजरात में लगातार जनाधार खो रहे मोदी ने जबरदस्त करिश्मा कर दिखाया। मोदी के चेहरे पर भाजपा के 282 सांसद लोकसभा पहुंचे। भाजपा ने पहली बार केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार का गठन किया। लिहाजा उनकी लोकप्रियता का सही आंकलन अब गुजरात विधानसभा चुनाव नतीज़ों के बाद होगा। फिलहाल तक माना जा रहा है कि गुजरात में भाजपा की जीत तय है क्योंकि प्रमुख विपक्ष कांग्रेस कमजोर हुई है। लिहाजा भाजपा के सामने कोई चुनौती नही है। सूबे में नेता प्रतिपक्ष शंकर सिंह बघेला ने कांग्रेस से नाता तोड़कर अलग राह अख्तियार कर ली है। कांग्रेस के छह विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया है। सूबे में कांग्रेस के अलावा अन्य कोई राजनीतिक दल अपना बजूद नही रखता है। ऐसे में अगर पीएम मोदी पिछले चुनाव की अपेक्षा इस साल सीटों में इजाफाा नही करवा पाये, तो माना जाएगा कि उनकी लोकप्रियता में कमी आई है। गुजरात के लोगों ने पीएम मोदी के कामकाज के प्रति अपनी नाराज़गी जाहिर की है।

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