(आशु सक्सेना) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 के चुनावी भाषण में कहा था कि दिल्ली "मिनी इंड़िया" है। यहां का मतदाता देश के भाग्य का फैसला करता है। पीएम मोदी का यह चुनावी बयान आज प्रसंगवश याद आया है। दरअसल "जनादेश" आज दिल्ली की एक ऐसी विधानसभा क्षेत्र के स्कूल की अनदेखी की कहानी सुनाने जा रहा हैं। जिस क्षेत्र पर मोदी के पीएम मोदी बनने से पहले भाजपा का कब्ज़ा हो चुका था। लोकसभा चुनाव से पहले हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली थी और अब दूसरी बार कांग्रेस के नसीब सिंह को हरा कर क्षेत्र के विधायक ओम प्रकाश शर्मा इस सीट पर काबिज़ हैं। ये बात दीगर है कि दोनों चुनाव में आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर रही। दरअसल मैं उस विधानसभा क्षेत्र का ज़िक्र कर रहा हॅूं, जिस क्षेत्र में 2013 के विधानसभा चुनाव में ही भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार कर लिया था। दिल्ली विधानसभा का यह क्षेत्र है "विश्वास नगर"। भाजपा के केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के तीन साल बाद अब इस क्षेत्र का नेतृत्व पूरी तरह भाजपा की गिरफ्त में आ चुका है। "संसद" से "नगर निगम" तक भाजपा अपना परचम फहरा चुकी है। केंद की सत्ता पर काबिज़ होने के तीन साल बाद पीएम मोदी के विकसित भारत की एक झलक इस विधानसभा क्षेत्र के आईपी एक्सटेंशन में घनी आबादी के बीच जोशी काॅलोनी के नजदीक देखी जा सकती है।
यहाँ एक स्कूल की तैयार इमारत पिछले तीन साल से बच्चों के स्वागत का इंतजार कर रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विश्वास नगर विधानसभा क्षेत्र पर 2013 के आम चुनाव में कांग्रेस के नसीब सिंह को हराकर कब्जा किया था। उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित के बेटे कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित को शिकस्त देकर भाजपा का कब्जा हुआ था और अब नगर निगम में भी भाजपा ने अब कांग्रेस को शिकस्त देकर अपना अंतिम परचल लहरा दिया है। आपको बता दें कि विश्वास नगर विधानसभा क्षेत्र में घनी आबादी वाले जोशी काॅलोनी में नगर निगम के इस स्कूल की इमारत 2013 में लगभग बन कर तैयार हो चुकी थी। उसके बाद मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद 2014 में विधानसभा के निलंबित रहने के दौरान इस इमारत की सजा सज्जा का काम भी पूरा कर लिया गया था। उसके बाद 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर के बावजूद इस क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार दूसरी चुनाव जीता। लिहाज़ा पीएम मोदी इस विधानसभा क्षेत्र के महत्व से इंकार नहीं कर सकते है। इसके बावजूद तब से अब तक यह इमारत स्कूल के उद्घाटन की बांट जोह रही है। अब 2017 के नगर निगम चुनाव में इस बार्ड में कांग्रेस को शिकस्त देकर भाजपा की अपर्णा गोयल निर्वाचित हुई है। अब इस स्कूल की इमारत का सौभाग्य देखिए, स्कूल की इमारत क्षेत्र की पार्षद की खिड़की से नज़र आती है। जी हां, अब इस क्षेत्र में रहने लोगों में यह उम्मीद जागी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वह स्कूल से घंटी की आवाज़ सुन लेंगे। स्कूल की इमारत के आसपास रहने वाले लोगों को अब थोड़ी राहत मिलनी शुरू हुई है। स्कूल की इमारत के सामने गंदगी का जो खत्ता था, वह अब साफ हो गया है। लोगों ने वहां गंदगी डालना बंद कर दिया है। वहां लगे एक पेड़ के नीचे स्थापित "मंदिर" में पूजा अर्चना होने लगी है। काॅलोनी की ओर जाने वाले रास्ते के ठीक पहले एक लोहे का गेट भी लग गया है। स्थानीय लोगों की मदद से यहां बैठने के लिए तख्त का इंतजाम हो जाता है। दिलचस्प पहलू ये है की भाजपा के केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के तीन साल बाद अब दिल्ली के इस स्कूल की इमारत के आसपास की सफाई शुरू हो सकी है। इससे देश भर में चल रहे सफाई अभियान का अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है। बहरहाल, इन तीन साल में देशवासियों ने हर महीने के आखिरी इतवार को पीएम मोदी के "मन की बात" ज़रूर सुनी होगी। लेकिन अफसोस, प्रधानमंत्री के "मन की बात" में देश के मिनी इंडिया में बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने उद्घाटन को तरस रही इस इमारत की कहानी को जगह नहीं मिली। यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने अपने चुनावी भाषण में हर विधानसभा के विकास का ज़िक्र आंकड़ों के साथ किया कि इस विद्यानसभा के लिए केंद ने इतना धन दिया, लेकिन सरकार ने उसका उपयोग नहीं किया। उन विकास पुरुष मोदी को मिनी इंडिया यानि दिल्ली में अपनी पार्टी के सबसे मजबूत गढ़ जहां उनकी पार्टी का कब्जा संसद से नगर निगम तक हो चुका है। उसके हालात की जानकारी नहीं है। यहाँ ये ज़िक्र करना मौजू होगा कि नगर निगम में पिछले पंद्रह साल से भाजपा ही काबिज है। बहरहाल अब इन तीन साल के दौरान जोशी काॅलोनी में प्लाजा मार्केट के नजदीक तैयार खड़े इस स्कूल को शुरू करने के लिए जो अड़चन ओर बढ़ गईं हैं, उनमें सबसे बड़ी अड़चन संभवतः प्लाजा मार्केट में चल रही शराब की दुकान है। हालांकि अब क्षेत्र के पार्षद की कृपा से स्कूल की इमारत के सामने शराबियों का अड़ड़ा बन चुके नगर निगम के पार्क में अब एक अस्थाई पार्किंग की व्यवस्था हो गई है। इससे क्या अब यह माना जाए कि इस क्षेत्र का कायाकल्प तीन साल बाद अचानक प्रधानमंत्री के किसी पुराने वादे की परिणित हैं। दरअसल ऐसा नही है, हक़ीक़त ये है कि कांग्रेस-भाजपा की राजनीति में फसी स्कूल की यह इमारत भाजपा की मौजूदा पार्षद अपर्णा गोयल की खिड़की से दिखती है, लिहाजा क्षे़त्र के लोग अब यह उम्मीद कर रहे है कि शायद अब इस इमारत का जीर्णोधार हो जाएगा। बहरहाल पीएम मोदी के तीन साल के कार्यकाल के दौरान इस स्कूल की इमारत की चार दीवार के अंदर जंगली घास उग आयी थी। शराब की दुकान नजदीक होने के कारण करीब तीन साल से खाली पड़ी स्कूल की इमारत में लोगों की आवाजाही आसान हुई थी। संभवतः भाजपा शासित नगर निगम की ओर से स्कूल की देखरेख लिए रखे गये व्यक्ति पर निगम प्रशासन का कोई नियंत्रत्र नहीं रहा हो। दरबाजे पर लगे ताले के बावजूद स्कूल की इमारत अराजक तत्वों और नशेबाजों का अड़ड़ा बन चुकी थी। अब पार्षद की खिड़की के सामने होने का फायदा यह हुआ है कि अब इस इमारत में अराजक तत्वों की आवाजाही पर थोड़ी रोक लगी है। बताया जाता है कि क्षेत्रवासी अब विड़ियोग्राफी करके पुलिस से शिकायत करने की धमकी भी देने लगे हैं। इसके बावजूद अभी यह सुनिश्चित नहीं हुआ है कि भाजपा शासित इस विधानसभा क्षेत्र यानि प्रधानमंत्री के मिनी इंडिया दिल्ली में इस स्कूल का उद्घाटन कब होगा। तीन साल बाद मिनी इंडिया की इस सच्ची कहानी के मद्देनज़र समूचे देश के हालात का आंकलन सहज ही किया जा सकता है। अब यहाँ ये ज़िक्र करना उचित होगा कि देश के नाम समर्पित होने वाली पुरानी परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी ने अपने चुनावी वादे पर शत-प्रतिशत अमल किया है। लोकसभा चुनाव के वक़्त प्रचार की शुरुआत भाजपा के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार मोदी ने 60 साल बनाम 60 महीने के नारे से की थी। उन्होंने कांग्रेस के 60 साल के सुशासन से मुक्ति के लिए 60 महीने के लिए जनादेश माँगा था। इस वादे को अमलीजामा पहनाते हुए पीएम मोदी ने असम से अरूणांचल प्रदेश तक चीन की सीमा के नजदीक पहुंचने वाले देश के सबसे लम्बे पुल और जम्मू से कश्मीर तक पहुंचने वाली देश की दूसरी सीमा पर बनी सुरंग का उद्घाटन सरकार के तीन साल पूरे होने तक कर दिया हैं। चीन सीमा के नजदीक वने पुल के उद्घाटन के वक्त पीएम मोदी पुल पर पैदल चलते हुए नजर आए थे। अफ़सोस कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाले पीएम मोदी को कांग्रेस के समय शुरू हुई इन परियोजनाओं के उद्घाटन की तत्परता थी। लेकिन देश को विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने वाले पीए मोदी के संज्ञान में मिनी इंड़िया की एक विधानसभा के उस स्कूल की कहानी नही है, जिस स्कूल से इन तीन साल के दौरान कुछ हजार बच्चों की फौज "नगर निगम" के स्कूल से निकलकर आगे बेहतर शिक्षा पाने की दौड़ में शामिल हो चुकी होती। देश ने पिछले तीन साल में कितनी तरक्की की होगी। इसकी एक झलक दिल्ली यानि पीएम मोदी के मिनी इंड़िया में भाजपा शासित नगर निगम के पिछले तीन साल से तैयार खडे़ इस स्कुल की कहानी के बाद साफ नज़र आती है। यह देश के विकास से जुड़े शिक्षा के क्षेत्र का मामला है, जिस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए भाजपा सरकारें सबसे ज्यादा ज़ोर दे रही हैं। देशभर के स्कूलों में देश भक्ति का पाठ पढ़ाया जा रहा है। जिसके तहत पिछले दिनों मदरसों में स्वतंत्रता दिवस की विडियोग्राफी के आदेश दिये गए थे शिक्षा के क्षेत्र को जड़ से मजबूत करने के संकल्प के तहत अब पांचवीं और आठवीं क्लास को अनिवार्य रूप से पास करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। संभवतः पिछली सरकारों ने इन क्लासों को पास करने की बाध्यता को इसलिए खत्म किया हो ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चो को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और बच्चों को एक खास क्लास के बाद स्कूल से वंचित होने से रोका जा सके। कांग्रेस ने शिक्षा नीति में तब्दीली करके आठवीं क्लास तक बच्चों को प्रौन्नत करने का प्रावधान किया था। ताकि बच्चों की रूचि पढ़ाई-लिखाई में बनी रहे। इसे मोदी सरकार अगले सत्र तक ख़त्म करने वाली है। मोदी सरकार बच्चों को शुरू से ही "मेक इन इंड़िया" के लिए तैयार करना चाहती है। शिक्षा का यह लक्ष्य छोटी क्लास में बच्चें के पास होने की अनिवार्यता से ही हासिल किया जा सकता है। अरे यह तो शिक्षा नीति पर चर्चा शुरू हो गई.....? उम्मीद है पीए मोदी 60 साल बनाम 60 महीने के अपने पहले वादे को अमलीजामा पहनाते हुए 2019 से पहले मिनी इंडिया में जोशी काॅलोनी के स्कूल की तैयार खड़ी इमारत से शिक्षित बच्चों की एक खेप जरूर देश को समर्पित कर जाएंगे। तभी देशवासी 2022 में हर परिवार को मिलने वाले पक्के मकान के नए वादे पर भरोसा करेंगे।