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(आशु सक्सेना) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अब अंतिम दौर में है। चुनाव नतीजों को लेकर चर्चा है कि भाजपा की लहर चल रही है और वह बहुमत से सत्ता हासिल करने वाली है। सवाल यह है कि अगर भाजपा की लहर चल रही है, तो फिर भाजपा में इतनी खलबली क्यों है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अंतिम चरण यानि 8 मार्च को मतदान है। लेकिन प्रधानमंत्री का मंत्रिमंडल एक सप्ताह पहले से इस संसदीय क्षेत्र में डेरा डाले हुए है। इतना ही नही अब प्रधानमंत्री भी अपने संसदीय क्षे़त्र में चुनाव प्रचार खत्म होते हुए प्रवास करेंगे। बहरहाल करीब एक महीने से चल रहे इस सूबे में चुनाव प्रचार काफी रौचक नजर आया। एक तरफ केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा के स्टार प्रचारक जहां विकास जैसे अहम चुनावी मुद्दों से इतर हिंदु मतों के धुव्रीकरण की कोशिश में लिप्त दिखे, वहीं बहुजन समाज पार्टी मुखिया मायावती भी मुसलिम मतों की एकजुटता पर जोर देती नजर आयीं। इनसे अलग सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पूरा जोर विकास पर केंद्रीत रहा। इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि विकास पुरूष की छवि लेकर प्रधानमंत्री बने भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी ने विकास के मुद्दे पर चर्चा को आगे बढाने में रूचि नही दिखाई। अलबत्ता उन्होंने शमशान और कब्रिस्तान का मुद्दा छेड़कर चुनाव को सांप्रदायिक रंग जरूर दिया। अब सवाल यह है कि अगर भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल कर रही है। जैसाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी हर चुनावी सभा में दावा कर रहे हैं।

फिर प्रधानमंत्री को अपने संसदीय क्षेत्र में जीत के लिए इतना चिंतित नही होना चाहिए था। यह सवाल उठना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि 403 विधानसभा वाले इस प्रदेश के सातवें और अंतिम चरण में मात्र 40 सीटों पर मतदान होना है और इन 40 सीटों से बहुमत का फैसला नही होना है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी समेत उनका मंत्रिमंडल आखिर वाराणसी में डेरा क्यों डाल रहा है। जहां तक मेरा चुनाव कबरेज का अनुभव है, उसके आधार पर मैं यह विश्वास से कह सकता हूॅं कि जीत के लिए आश्वस्त लोग कभी चुनाव की पूर्व संध्या में मतदाताओं की चिरौरी नही करते हैं। यह तो गुजरात से उभरे विकास पुरूष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का मामला है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा के बाकी रणनीतिकार अभी तक अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नही है। लिहाजा प्रधानमंत्री की कम से कम उनके संसदीय क्षेत्र में प्रतिष्ठा बच जाए। यह आभास वाराणसी में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की मौजूदगी से जरूर होता है। जिला प्रशासन से प्राप्त कार्यक्रम के अनुसार 4 मार्च को मोदी अपराह्न करीब तीन बजे अपने लोकसभा क्षेत्र पहुंचेंगे और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में एक घंटा आराम करने के बाद वह काशी विश्वनाथ मंदिर के लिये रवाना होंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मोदी यहां से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित काल भैरव मंदिर भी जाएंगे। इसके बाद मोदी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के लिये प्रस्थान करेंगे। उत्तर प्रदेश में जारी विधानसभा चुनावों के दौरान वह पहली बार प्राचीन मंदिर के इस शहर में जनसभा को संबोधित करेंगे। बहरहाल, वाराणसी में प्रधानमंत्री की यात्रा और राहुल गांधी एवं अखिलेश यादव का रोड शो लगभग एक ही समय पर होने वाला है। यह यात्रा प्रशासन के लिये परेशानी पैदा करने वाली हो सकती है और अपनी तंग गलियों के लिये मशहूर शहर में यातायात को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। पिछले महीने राहुल गांधी एवं अखिलेश यादव का रोड शो दो बार स्थगित हुआ था। जिला प्रशासन ने विशिष्ट स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के साथ परामर्श कर 10 किलोमीटर लंबे मार्ग को अंतिम रूप दिया है। एसपीजी मोदी और राहुल गांधी दोनों को सुरक्षा कवर प्रदान करता है। राहुल गांधी एवं अखिलेश यादव का रोड शो कचहरी से शुरू होकर काशी विश्वनाथ एवं काल भैरव मंदिरों के निकट गोदौलिया इलाका स्थित गिरिजाघर पर सम्पन्न होगा।

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