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नई दिल्ली:  कल दाम बढ़ाने के बाद आज फिर तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाए हैं। सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल दोनों ईंधनों की कीमत में प्रति लीटर 22 से 26 पैसे तक दाम बढ़ाए हैं। दिल्ली में गुरुवार को पेट्रोल 84.45 रुपये और डीजल 74.63 रुपये प्रति लीटर पर चला गया। जयपुर के श्रीगंगानगर में पेट्रोल अब 100 रुपये लीटर के और करीब आ गया है। यहां एक लीटर पेट्रोल के लिए अब 95 रुपये 78 पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। 

दो लगातार दिनों में पेट्रोल के दाम 49 पैसे प्रति लीटर बढ़े

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों...इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) ने छह जनवरी से वाहन ईंधन कीमतों में संशोधन फिर शुरू किया है। इससे पहले करीब एक माह तक ईंधन कीमतों में संशोधन नहीं हुआ था। दो लगातार दिनों में पेट्रोल के दाम 49 पैसे प्रति लीटर और डीजल के 51 पैसे प्रति लीटर बढ़े हैं।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि नियामकीय राहतों को वापस लेने के साथ महामारी के कारण बही-खातों में संपत्ति का मूल्य घट सकता है और पूंजी की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) सितंबर 2021 तक बढ़कर 13.5 फीसदी हो सकता है जो एक साल पहले 7.5 था।

छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की भूमिका में आरबीआई गवर्नर ने लिखा है, बैंक क्षेत्र की वित्तीय सेहत को बनाए रखना नीति की प्राथमिकता है। दास ने कहा कि महामारी से हमें नुकसान हुआ है, आगे आर्थिक वृद्धि और आजीविका बहाल करने का काम करना है। 

शक्तिकांत दास ने कहा कि लेखांकन के स्तर पर उपलब्ध आंकड़े बैंकों में दबाव की सही तस्वीर नहीं बता पाते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को पूंजी जुटानी चाहिए और कारोबार के मॉडल में जरूरी बदलाव करने चाहिए। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश में कोविड-19 महामारी संकट के कारण सरकार के बाजार उधारी कार्यक्रम के विस्तार से बैंकों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।

नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच उपभोक्ताओं पर महंगाई की एक और मार पड़ने वाली है। उपभोक्ताओं को दैनिक इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं जैसे साबुन, खाद्य तेल और पैकेटबंद सामान खरीदने के लिए आने वाले दिन में अधिक कीमत चुकानी होगी। कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी के चलते एफएमसीजी कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है।

कुछ एफएमसीजी कंपनियां जैसे मैरिको और अन्य ने अपने उत्पाद की कीमत बढ़ा चुके हैं। वहीं, डाबर, पारले और पतंजलि जैसी कंपनियां स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं। एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि वह कच्चे मल की कीमत बढ़ने का असर अपने उत्पाद पर पड़ने का आकलन कर रहे हैं। हालांकि, वह लंबे समय तक कीमत में बढ़ोतरी का फैसला नहीं टाल सकते हैं। आने वाले समय में वह कीमत में बढ़ोतरी करेंगे।

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)  में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। कोविड-19 महामारी के प्रभाव से चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था नीचे आएगी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बृहस्पतिवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि कृषि को छोड़कर अर्थव्यस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में गिरावट आएगी।

एनएसओ के अनुसार, ‘‘2020-21 में स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। वहीं, 2019-20 में जीडीपी का शुरुआती अनुमान 145.66 लाख करोड़ रुपये रहा है।2020-21 में वास्तविक जीडीपी में अनुमानत: 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

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