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अहमदाबाद: नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तुलनात्मक रूप से कृषि क्षेत्र के कम योगदान को लेकर चिंता जतायी और दूसरी हरित क्रांति लाने के लिये इस क्षेत्र में सुधार का आह्वान किया। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार पनगढ़िया कृषि विकास पर कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता के लिये गांधीनगर में थे। इन कार्यबलों का गठन मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों ने किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि देश की 49 प्रतिशत आबादी कृषि से संबद्ध है, लेकिन उनका कुल जीडीपी में योगदान 15 प्रतिशत ही है। विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया है, 'यह समय कृषि क्षेत्र को महत्व देने का है। दूसरी हरित क्रांति के लिये हमें क्षेत्र के विभिन्न भागों जैसे भूमि, कृषि, बीज आदि में सुधार लाना होगा

नई दिल्ली: मौजूदा 100 से 150 अरब डालर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अधिक निजी निवेश आकर्षित करने के इरादे से सरकार ने आज कहा कि निवेशकों को आकर्षक रिटर्न देने के लिए वह परियोजना ढांचे और नियमनों की समीक्षा करेगी। भारत निवेश सम्मेलन के दूसरे दिन वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने सॉवरेन संपदा कोषों, निजी इक्विटी और पेंशन कोषों के साथ बैठक में राजमार्ग, रेलवे तथा ऊर्जा क्षेत्र की पुरानी तथा नई परियोजनाओं के बारे में बताया। सिन्हा ने कहा, ‘मुद्दे क्या हैं और चुनौतियां क्या हैं, यह समझने के लिए हम काफी मेहनत कर रहे हैं। जहां तक कानून, नियमन और परियोजना ढांचे का सवाल है, हमें और क्या करने की जरूरत है, जिससे हम आपको अधिक आकर्षक रिटर्न दे सकें, जिसमें जोखिम भी कम हो।’

कोलंबो: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की जिन्होंने अपने यहां भारतीय निवेश की मांग की और एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने में साझेदारी की पेशकश की। साथ ही, उन्होंने देश के ताजा घटनाक्रमों से सुषमा को अवगत भी कराया। साल भर के अंदर दूसरी बार यहां की यात्रा पर आई स्वराज ने प्रधानमंत्री कार्यालय ‘टेम्पल ट्री’ में विक्रमसिंघे के साथ वार्ता की और दोनों नेताओं ने अपने विचारों का सार्थक आदान प्रदान किया। अधिकारियों ने बताया कि अपनी 50 मिनट की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने श्रीलंका में भारतीय निवेश की मांग की और त्रिंकोमाली में एक सेज स्थापित करने में साझेदारी का प्रस्ताव दिया।

बेंगलुरू: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने आशा जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में निवेश लाने में सफल रहेंगे क्योंकि देश को नई निर्माण कंपनियों की उर्जा चाहिए। उन्होंने यहां ‘मेक इन इंडिया’ नारे से जुड़े एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा कि मुझे आशा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में कंपनियों को लाने में सफल रहेंगे क्योंकि देश को नई निर्माण कंपनियों की उर्जा की जरूरत है। टाटा ने कहा कि अगर भारत लोगों के लिए व्यापार का माहौल बनाता है तो लोग भारत आएंगे।

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