नई दिल्ली: मौजूदा 100 से 150 अरब डालर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अधिक निजी निवेश आकर्षित करने के इरादे से सरकार ने आज कहा कि निवेशकों को आकर्षक रिटर्न देने के लिए वह परियोजना ढांचे और नियमनों की समीक्षा करेगी। भारत निवेश सम्मेलन के दूसरे दिन वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने सॉवरेन संपदा कोषों, निजी इक्विटी और पेंशन कोषों के साथ बैठक में राजमार्ग, रेलवे तथा ऊर्जा क्षेत्र की पुरानी तथा नई परियोजनाओं के बारे में बताया। सिन्हा ने कहा, ‘मुद्दे क्या हैं और चुनौतियां क्या हैं, यह समझने के लिए हम काफी मेहनत कर रहे हैं। जहां तक कानून, नियमन और परियोजना ढांचे का सवाल है, हमें और क्या करने की जरूरत है, जिससे हम आपको अधिक आकर्षक रिटर्न दे सकें, जिसमें जोखिम भी कम हो।’
सिन्हा ने बताया कि 100 से 150 अरब डालर की परियोजनाएं पूर्ण होने के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं जहां इन परियोजनाओं का नए सिरे से आंकलन किया जा रहा है, नया वित्तपोषण आ रहा है। ऐसे में मुझे लगता है कि इन परियोजनाओं के लिए काफी आकर्षक निवेश अवसर हैं।’ उन्होंने निवेशकों से नई के साथ पुरानी पहले से चल रही परियोजनाओं पर भी विचार करने को कहा। वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि अब दबाव वाली संपत्तियों के वित्तपोषण में एनआईआईएफ भी मदद करेगा। सम्मेलन को संबोधित करते हुए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एच.आर. खान ने कहा, ‘हम परिस्थिति की मांग के हिसाब से नियामकीय बदलावों के लिए तैयार हैं। हम आपकी मांगों को लेकर संवेदनशील हैं।’ वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार नई परियोजनाओं के पुन:वित्तपोषण के पूरे तरीके पर नए सिरे से विचार करने का प्रयास कर रही है। साथ ही सरकार का प्रयास है कि इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द नकदी का प्रवाह मिल सके। उन्होंने बताया कि अपोलो, ब्लैकस्टोन और एडलवेस आदि ठहरी पुरानी परियोजनाओं के वित्तपोषण पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने निवेशकों के लिए विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं को रेखांकित करते हुए कई ठहरी परियोजनाएं हैं, ये नई परियोजनाएं हैं, साथ ही नकदी का सृजन करने वाली विकसित परियोजनाएं हैं। आप इनको एक साथ पैकेज कर सकते हैं ओर एक आकषर्क रिटर्न का पोर्टफोलियो बना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘तीनों निवेश के अवसर अब उपलब्ध हैं।’ सरकार ने दिसंबर में 40,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) का गठन किया है। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत होगी। शेष हिस्सा निजी निवेशकों के पास रहेगा।