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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार (23 फरवरी) को कहा कि वैश्विक समुदाय के पास इस समय डिजिटल मंचों पर कारोबर के लिए एक नई वैश्विक कर प्रणाली तैयार करने का अनूठा अवसर है। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण के कारण उभर रही कर-चुनौतियों से निपटने की व्यवस्था समावेशी होनी चाहिए। सऊदी अरब में रियाद में जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों के सम्मेलन में उन्होंने यह आह्वान किया। वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी।

सीतारमण ने जी20 देशों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि डिजिटलीकरण संबंधी जो भी नई अंतराष्ट्रीय कर व्यवस्था बने, वह सचमुच समावेशी हो। उन्होंने भगोड़े कर अपराधियों के मामलों की जांच में विभिन्न देशों की राजस्व एजेंसियों के बीच और अधिक करीबी सहयोग व संबंध की जरूरत पर बल दिया। सीतारमण ने रियाद सम्मेलन के दूसरे दिन कॉरपोरेट बांड बाजार को व्यापक बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि इसके लिये भारत सरकार ने कॉरपोरेट बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश की सीमा बढ़ाई है तथा सरकारी प्रतिभूतियों की कई घोषित श्रेणियों के लिए पूंजी नियंत्रण को समाप्त किया है। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर जी20 के साथ संवाद जारी रखना चाहती हैं।

मंत्रालय के ट्वीट के अनुसार, सीतारमण ने जी20 के सदस्यों को बांड में चूक के जोखिम- प्रीमियम (क्रेडिट डिफाल्ट स्वैप) बाजार में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने एक्सचेंजों के जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से बांड की खरीद-बिक्री के बदलते तरीके, सभी के लिए कभी भी आवेदन करने की सुविधा समेत अन्य उन कदमों की भी जानकारी दी, जो भारतीय बांड बाजार में निवेश बढ़ाने के लिये उठाये गए हैं।"

उन्होंने बुनियादी संरचना में निवेश से संबंधित सत्र को संबोधित करते हुए जी20 के इंफ्राटेक प्रौद्योगिकी एजेंडा (बुनियादी संरचना प्रौद्योगिकी) को लेकर किए जा रहे प्रयासों का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने जी20 के सदस्य देशों को इस प्रकार की प्रौद्योगिकी के मामले में सबके लिए एक जैसे नुस्खे सुझाने से बचने की सलाह दी। इसके पीछे उनका तर्क है कि अलग-अलग देश बुनियादी संरचना में प्रौद्योगिकी अपनाने के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने बुनियादी संरचना में प्रौद्योगिकी अपनाने में फास्टैग तथा बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने के भारत के सफल प्रयासों का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर से राजस्व की चोरी रोकने में मदद मिलेगी, जबकि फास्टैग से टोल शुल्क का इलेक्ट्रॉनिक तरीके से संकलन संभव हुआ है।

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