नई दिल्ली: आज संसद का बजट सत्र शुरू हो गया। आर्थिक सुस्ती की खबरों के बीच मोदी सरकार आज साल 2019-2020 का इकोनॉमिक सर्वे यानी आर्थिक सर्वेक्षण को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश कर दिया। इसके बाद लोकसभा को शनिवार 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया। पीटीआई के मुताबिक सर्वे में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ 6 से 6.5 फीसदी रहने का भरोसा जताया गया है। फिलहाल वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 5 फीसदी है। वहीं, इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान 6.8 फीसदी था।
बता दें सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण पर पूरे देश की नजर है, क्योंकि बीते कुछ समय से ऐसा कहा जा रहा है कि देश में आर्थिक सुस्ती जैसे हालात हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में देश में व्यवसाय करने को आसान बनाने के लिए और सुधार करने का आह्वान किया गया है। वहीं नया कारोबार शुरू करने, संपत्ति पंजीकरण, कर भुगतान और अनुबंधों के प्रवर्तन को सुगम करने के लिए उपायों की जरूरत बताई गई है। इसके चालू वित्त वर्ष (2019-2020) में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान, आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटा लक्ष्य में ढील देनी पड़ सकती है।
इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी। इसके बाद वित्त वर्ष 2021 में इसके मजबूत स्थिति में पहुंचाने का अनुमान जताया गया है। सर्वे में कहा गया है कि जीडीपी ग्रोथ घटने का सबसे बड़ा कारण मांग और निवेशमें कमी रही। इसके कारण सरकार पर आर्थिक सुधारों में तेजी लाने का दबाव बना। उम्मीद है कि सरकार बजट 2020 में व्यक्तिगत करदाताओं को आयकर में राहत की घोषणा कर सकती है। साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने वाली घोषणाएं कर सकती है।
क्या है आर्थिक सर्वेक्षण
आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की सालाना आधिकारिक रिपोर्ट होती है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। इसमें भविष्य में बनाई जाने वाली योजानाओं और अर्थव्यवस्था में आने वाली चुनौतियों की सारी जानकारी दी जाती है। इस सर्वेक्षण में देश के आर्थिक विकास का अनुमान होता है। आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात की जानकारी दी जाती है कि आगामी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी या फिर धीमी रहेगी। सर्वेक्षण के आधार पर ही सरकार द्वारा बजट में ऐलान किए जाते हैं, हालांकि इन सिफारिशों को मानने के लिए सरकार कानूनी तौर पर बाध्य नहीं होती है।