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मुंबई: आम बजट पेश होने के एक सप्ताह पहले भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार (24 जनवरी) को खपत मांग और सकल आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिए संरचनात्मक और ज्यादा वित्तीय उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। दास ने कहा कि इन उद्देश्यों को पाने के लिए मौद्रिक नीति की अपनी सीमाएं हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार अगले शनिवार यानी एक फरवरी को अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करने जा रही है। आम बजट ऐसे समय पेश किया जा रहा है जबकि सरकार के अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सांकेतिक वृद्धि दर घटकर 48 साल के निचले स्तर 7.5 प्रतिशत पर आ जाएगी। वहीं वास्तविक वृद्धि दर 11 साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। दास ने सेंट स्टीफंस कॉलेज के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, ''मौद्रिक नीति की अपनी सीमाएं हैं। मांग बढ़ाने और वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए संरचनात्मक सुधार और राजकोषीय उपाय जारी रहने चाहिए।

दास इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं।" सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है। दास के इस बयान को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में तिमाही दर तिमाही आधार पर वृद्धि दर नीचे आ रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में कमी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने फरवरी से अक्टूबर, 2019 के दौरान चार बार नीतिगत दर को 1.35 प्रतिशत घटाकर 5.15 प्रतिशत पर ला दिया है। यह रेपो दर का नौ साल का निचला स्तर है।

दास ने कुछ ऐसे क्षेत्रों का भी उल्लेख किया जहां संरचनात्मक सुधार जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि यदि इन सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया जाता है तो ये वृद्धि को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। उन्होंने वैश्विक मूल्य श्रृंखला के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पर्यटन, ई-कॉमर्स और स्टार्टअप्स को प्राथमिकता देने की वकालत की। दास ने कहा कि राज्य निवेश बढ़ाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन सब स्थितियों की वजह से रिजर्व बैंक ने फरवरी से दिसंबर के बीच अपने वृद्धि दर के अनुमान को 2.9 प्रतिशत घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।

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