नई दिल्ली: देश में ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था ‘जीएसटी’ को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए लोकसभा ने आज वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने आश्वस्त किया कि नयी कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के साथ ही कृषि पर कर नहीं लगाया गया है। लोकसभा ने आज (बुधवार) केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सम्मिलित चर्चा के बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए ध्वनिमत से पारित कर दिया। धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर अब राज्यसभा को केवल चर्चा करने का अधिकार होगा। वस्तु एवं सेवा कर संबंधी विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने विपक्ष की इन आशंकाओं को निर्मूल बताया कि इन विधेयकों के जरिये कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली बात तो इसी संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को करों की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है। जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है। संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया।
जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी। हालांकि इन सिफारिशों पर ध्यान रखना होगा क्योंकि अलग अलग राज्य अगर अलग दर तय करेंगे तो अराजक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। यह इसकी सौहार्दपूर्ण व्याख्या है औार इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। एक समान कर बनाने की बजाए कई कर दर होने के बारे में आपत्तियों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कई खाद्य उत्पाद हैं जिनपर अभी शून्य कर लगता है और जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद भी कोई कर नहीं लगेगा। कई चीजें ऐसी होती हैं जिन पर एक समान दर से कर नहीं लगाया जा सकता। जैसे-तंबाकू, शराब आदि की दरें उंची होती हैं जबकि कपड़ों पर सामान्य दर होती है। उन्होंने कहा, ‘‘अब हवाई चप्पल और बीएमडब्ल्यू कार पर एक समान कर नहीं लगाया जा सकता।’’