नई दिल्ली: बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर लागू करने तथा देश में ऐतिहासिक कर सुधारों के युग की शुरूआत करने के लिए चार विधेयक आज लोकसभा में पेश किए गए। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने एक राष्ट्र एक कर की अवधारणा को लागू करने के लिए चार विधेयक लोकसभा में रखे जिनमें केंद्रीय जीएसटी, एकीकृत जीएसटी, केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी और मुआवजा कानून शामिल हैं। सरकार ने एक जुलाई से जीएसटी को लागू करने का प्रस्ताव किया है। ऐसा अनुमान है कि जीएसटी को लागू करने से भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में दो फीसदी का इजाफा होगा। बीते शनिवार को जेटली ने संसद के मौजूदा सत्र में जीएसटी विधेयकों को पारित करने की तत्काल जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा था कि विधेयकों के पारित नहीं होने पर केंद्र और राज्य 15 सितंबर के बाद से अप्रत्यक्ष कर एकत्र करने के अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। संसद द्वारा इन विधेयकों को पारित किए जाने के बाद जीएसटी को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इस बीच सभी राज्य विधानसभाओं को भी इससे जुड़ा एक अलग विधेयक पारित करना होगा. इसके बाद उत्पाद शुल्क और सेवा कर तथा वैट जैसे राज्यों के शुल्क सब मिलकर एक हो जाएंगे।
जीएसटी परिषद पहले ही 5, 12, 18 और 28 फीसदी चार स्तरीय कर स्लैब को पारित कर चुकी है। जिसके तहत लग्जरी कारों, ऐरेटिड ड्रिंक्स और तंबाकू उत्पादों जैसी वस्तुओं पर अतिरिक्त उपकर की व्यवस्था है। विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को अलग अलग स्लैब में रखने का काम अगले माह से शुरू होगा। कांग्रेस के कई सदस्यों ने हालांकि विधेयकों को पेश करने के तौर तरीकों को विरोध किया और कहा कि प्रस्तावित विधेयक का अध्ययन करने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया। इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयकों को पेश करने के संबंध में आज की कार्यसूची में कोई जिक्र नहीं है और महत्वपूर्ण मुद्दों के संबंध में संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए। संसदीय मामलों के राज्य मंत्री एस एस अहलूवालिया ने कहा कि शुक्रवार की रात को ही विधेयकों को सरकार की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था. विपक्षी सदस्यों ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी और कहा कि सरकार कैसे उम्मीद करती है कि सांसद आधी रात को वेबसाइट देखेंगे। उनका कहना था कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस पर कोई चर्चा क्यों नहीं की गयी। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे , अखिल भारतीय मजलिस ए इत्ताहादुल मुसलमिन के नेता असदुद्दीन ओवैसी और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय विधेयकों के पेश करने के तरीके पर आपत्ति जताने वालों में प्रमुख थे। विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि शनिवार की सुबह विधेयक सदस्यों को भेज दिए गए थे और इन्हें आज पेश करने में कुछ गलत नहीं है।