नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सहारा समूह को आगाह किया कि यदि उसने वायदे के मुताबिक 17 अप्रैल तक 5,092.6 करोड़ रुपए जमा नहीं कराए, तो उसकी पुणे में अंबे वैली की 39,000 की प्रमुख संपत्ति नीलामी की जाएगी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने न्यूयार्क के प्लाजा होटल में सहारा की हिस्सेदारी 55 करोड़ डॉलर में लेने की इच्छा जताने वाली अंतरराष्ट्रीय रीयल एस्टेट कंपनी को निर्देश दिया है कि वह अपनी सही मंशा को दिखाने के लिए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के बजाय सेबी-सहारा रिफंड खाते में 750 करोड़ रुपये जमा कराए। न्यायालय की इस पीठ में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘यदि वायदे के मताबिक तय समयसीमा में यह पैसा जमा नहीं कराया गया, तो हम सहारा की अंबे वैली परियोजना की नीलामी करेंगे।’ उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले धन की वसूली के लिए सहारा समूह की इस प्रमुख संपत्ति की कुर्की का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही सहारा समूह से दो सप्ताह में उन संपत्तियों की सूची देने को कहा है जिन पर किसी तरह की देनदारी नहीं है और जिन्हें सार्वजनिक नीलामी के लिए रखा जा सकता है तकि निवेशकों को लौटाए जाने वाले मूल धन के शेष 14,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाई जा सके। निवेशकों से जुटायी गयी मूल राशि 24,000 करोड़ रुपए है जिसे लौटाया जाना है। यह पैसा सेबी-सहारा खाते में जमा कराया जाना है।
न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को जेल से बाहर रहने के लिए 6 फरवरी तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में 600 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा था। न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि यदि वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें वापस जेल भेज दिया जाएगा। राय को 6 मई, 2016 को अपनी मां की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए चार सप्ताह का पैरोल दिया गया था। उसके बाद से अदालत ने उनका पैरोल बढ़ाया है। राय को 4 मार्च, 2014 को जेल भेजा गया था। निवेशकों से अवैध तरीके से जुटाए गए 24,000 करोड़ रुपए के धन को उन्हें वापस करने के न्यायालय के 31 अगस्त 2012 के आदेश का सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन (एसआईआरईसीएल) तथा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्प लि. (एसएचआईसीएल) द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने पर राय के साथ कंपनी के दो अन्य निदेशकों रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को भी गिरफ्तार किया गया था।