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इस्लामाबाद: यहां की एक आतंकरोधी अदालत (एटीसी) ने पाकिस्तान के न्यायिक आयोग को कराची जाकर उस नौका की जांच करने को कहा है जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने मुंबई में साल 2008 में हुए हमले में किया था। मुंबई आतंकी हमला मामले की सुनवाई के दौरान कल एटीसी के एक न्यायाधीश ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के कराची में ‘अल्फोज’ नाम की नौका की जांच के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था। एफआईए ने अदालत से कहा था कि चूंकि नौका को अदालत में पेश करना मुश्किल है इसलिए वह नौका के परीक्षण के लिए न्यायिक आयोग को वहां भेजे। आयोग कराची जाकर नौका की जांच करेगा और एक चश्मदीद मुनीर का बयान भी दर्ज करेगा। इससे पहले एटीसी के द्वितीय न्यायाधीश ने नौका को सबूत मानने के एजेंसी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था जिसका कहना था कि इस नौका का इस्तेमाल भारत में आंतकियों को भेजने में किया गया था जिसकी परिणिति अंतत: मुंबई हमले के रूप में हुई। अदालत का फैसले आने से कुछ दिन पहले ही भारत ने पाकिस्तान को पत्र लिखकर मुंबई आतंकी हमले के मुकदमे में तेजी लाने के लिए उसे कानूनी उपाय सुझाए थे। एजेंसी ने मुंबई आतंकी हमले के संदिग्ध सुफियान जफर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर उस पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था। इसी के बाद भारत ने पाकिस्तान यह पत्र लिखा था। एजेंसी ने अदालत में पेश आरोप पत्र में जफर का नाम दूसरे स्तंभ में लिखा है जिसका मतलब यह है कि उसके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक जफर ने अन्य संदिग्धों को वित्तीय मदद दी थी। आरोप पत्र में संघीय जांच एजेंसी ने कहा है कि जफर ने एक संदिग्ध के खाते में 14,000 रुपये भेजे थे। जांचकर्ताओं के मुताबिक जांच के दौरान यह भी पता चला कि जफर ने अन्य संदिग्धों को भी धन दिया था लेकिन उसने यह नहीं पूछा था कि उन्हें पैसे की जरूरत किस काम के लिए है। लश्कर ए तैयबा के आतंकी लखवी, अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमाद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जामिल अहमद और युनिस अंजुम पर हत्या के लिए उकसाने, हत्या के प्रयास और मुंबई हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का आरोप है। नवंबर 2008 में हुए इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। लखवी को मुंबई हमले का मास्टर माइंड माना जाता है। सालभर पहले जमानत पर रिहा होने के बाद से वह अज्ञात स्थान पर रह रहा है। बाकी के अन्य छह संदिग्ध रावलपिंडी की आदियाला जेल में बंद हैं। पाकिस्तान में पिछले छह साल से यह मामला चल है।

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