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संयुक्त राष्ट्र: पूर्व राजनीतिक कैदी आंग सान सू ची ने म्यांमार में पहली लोकतांत्रिक सरकार बनाने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना पहला संबोधन दिया और सांप्रदायिक तनाव से घिरे म्यांमा के प्रति एक अंतरराष्ट्रीय समझ विकसित करने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र में विश्वभर के नेताओं की वाषिर्क बैठक में कल सू ची की मौजूदगी निजी एवं राष्ट्रीय सुधार के क्रम में एक ऐतिहासिक अवसर था। सू ची के देश में पांच दशक के सैन्य शासन के बाद लोकतांत्रिक सरकार का दौर आया है। इस मौके पर सू को संकटग्रस्त रखाइन प्रांत के हालात से जुड़ी चिंताएं भी जाहिर करनी थी। बहुसंख्यक बौद्ध लोगों द्वारा लंबे समय से रोहिंग्या मुसलमान समुदाय के साथ किया जा रहे भेदभाव ने वर्ष 2012 में खूनी हिंसा का रूप ले लिया था। एक लाख से ज्यादा लोग अब भी शिविरों में विस्थापन शिविरों में हैं। इनमें अधिकतर रोहिंग्या मुसलमान हैं। सू ची ने कहा कि नई सरकार ‘असहिष्णुता और पूर्वाग्रही ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़ी है।’ उन्होंने कहा, कि एक जिम्मेदार राष्ट्र होने के नाते ‘हम अंतरराष्ट्रीय जांच से नहीं डरते हैं।’ हम ऐसे स्थायी हल के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो शांति एवं स्थिरता की ओर ले जाता हो और देश में सभी समुदायों का विकास सुनिश्चित करता हो।

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